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तोमर को तोमर, भदौरिया को भदौरिया हराने में नहीं छोड़ रहे कोई कसर, तोमर और अरविंद पहुंचे तीसरे स्थान पर

मुरैना, दिमनी और सुमावली, अटेर में त्रिकोणीय मुकाबला, भिंड और लहार, मेहगांव, शिवपुरी में बीजेपी कांग्रेस आमने सामने

ग्वालियर/ चंबल । प्रदेश का सबसे राजनीतिक परिदृश्य से चंबल ग्वालियर संभाग महत्व पुर्णभाई। यहां पर कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने से बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्यासियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। इन क्षेत्रों में मुरैना जिले की मुरैना, दिमनी, और सुमावली तथा भिंड जिले की भिंड, अटेर, लहार विधान सभा पर त्रिकोणीय मुकाबले का असर दिखा दे रहा है। पांच सीटों पर बीएसपी और अटेर सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्यासी टक्कर से रहे है। सबसे बड़ी बात यह की दो सीटों पर तो भदौरिया और तोमर ही एकवदुसारे के लिए रोड़ा बने हैं। चाहे दिमनी में आप्बके प्रत्यासी सुरेंद्र तोमर हो या अटेर के सपा प्रत्यासी मुन्ना भदौरिया यह्वदोनो ही बीजेपी के प्रत्याशी के लिए चुनौती बने हैं जिससे अटेर से कांग्रेस और दिमनी में बीएसपी के लिए रास्ता रास्ता साफ हो रहा है। स्थिति यह है कि दोनो ही विधान सभा पर बीजेपी तीसरे स्थान पर है। दोनो ही विधानसभा साइट पर केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के सहकारिता मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं। अब सुमावली विधान सभा पर भी कांग्रेस और बीजेपी के लिए सरदर्द बना हुआ है। Bso ke प्रत्याशी कुलदीप सिंह सिकरवार जोवपहले कांग्रेस से प्रत्यासी थे जिनका बाद में टिकिट काट दिया गया। जिससे नाराज होकर वह बीएसपी से चुनावी मैदान में है। हालांकि उनका यह पहला चुनाव है। वहां की जनता में कितना प्रभाव है यह तो परिणाम ही बताएंगे लेकिन यहां के जातीय समीकरण से देखा जाए तो वह दोनो दलों के प्रत्याशियों का गणित बिगड़ रहे है है यह सिकरवार बाहुल्य क्षेत्र है और इनके साथ ब्राम्हण, बनिया के साथ हरिजन वोट बैंक भी है जो इनको कहीं न कहीं विधानसभा के द्वार तक का रास्ता तय करने में सहयोग करेगी ।

मुरैना विधान सभा सीट शुरुआत में बीजेपी के पक्ष में दिखाई दे रही थी लेकिन जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रहीभाई वैसे वैसे स्थिति बदलती गई और अब सीधा मुकाबला बीएसपी के राकेश रुस्तम सिंह और कांग्रेस के दिनेश गुर्जर हो गया है। यहां पर दिनेश का पलड़ा भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। और मतदान में अभी दो दिन का समय है। देखते है अभी जनता का रुझान किस तरफ होगा। इस सीट पर यह कहना मुश्किल है कि किसे जनता विधानसभा भेजेगी। 

भिंड विधान सभा में भी वर्तमान बीएसपी से विधायक संजीव कुशवाह एक बार फिर से हाथी पर सवार हो गए हैं । हालांकि यह कुछ समय बीएसपी को छोड़ बीजेपी में शामिल हों गए थे। लेकिन बीजेपी ने इन्हें टिकिट नहीं दिया तो फिर से हाथी पर सवार हो गए। लेकिन इनका वोट बैंक खिसक गया क्यों कि इन्होंने जनता पर अपनी विश्वशनीयता बीजेपी में शामिल होकर खत्म कर दी थी। जो अब वापस आना संभव नहीं है। इसलिए यहां पर बीजेपी कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है परिणाम कुछ भी हैं । 

लहार विधान सभा में भी कहने को तो तीनों कांग्रेस, बीजेपी और बीएसपी के प्रत्याशी वजनदार हैं । लेकिन मुकाबले में सिर्फ कांग्रेस के डा गोविंद सिंह और बीजेपी के अमरीश शर्मा ही हैं। बेसिक रसाल सिंह का जनाधार अधिक नहीं है। हालांकि वह भी बीजेपी से विधायक रहे है। लेकिन जनता को सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी ही दिखाई दे रही है यहां पर कांग्रेस के गोविंद सिंह बीजेपी के अमरीश शर्मा पर भारी हैं। 

 भिंड जिले की मेहगांव विधान सभा पर कांग्रेस और बीजेपी हो आमने सामने है। यहां पर भी राहुल भदौरिया कांग्रेस से प्रत्याशी हैं । वहां यहां पर पटवारी की पोस्ट पर भी कार्य कर चुके है। अब विधान सभा के प्रत्याशी हैं । दूसरी ओर बीजेपी ने यहां से दो बार विधायक रहे राकेश शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। यहां पर जातिवाद को लेकर ही चुनाव लडे जाते रहे हैं। यहां पर ब्राह्मण मतदाता अधिक हैं और बीजेपी की सरकार है। अब विकास कार्य स्थानीय मुद्दों को लेकर कितना जनता प्रभावित होकर किस्वापना अमूल्य वोट देगिव्याह कहना मुश्किल है। 

 

शिवपुरी विधान सभा सीट पर कांग्रेस के अजेय प्रत्याशी के पी सिंह कक्काजू और बीजेपी के देवेंद्र जैन चुनावी मैदान में है। यहां पर तीसरे दल का कोई प्रभाव नहीं है जिससे बीएसपी और अन्य दल प्रत्याशी भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे है। लेकिन उनके पास समाज का वोट बैंक के अलावा खुद का कोई जनाधार नहीं है। कक्काजु कांग्रेस से पिछोर से तीन दशक से जनप्रतिंधि रहते हुए मंत्री भी रहे हैं और इस बार उन्हें क्षेत्र बदलकर शिवपुरी से मैदान में उतारा है। उन्होंने अपनी विनम्रता का परिचय देते हुए जनता के दिलों तक अपने लिए जगह बनाने के प्रयास कर रहे हैं। जिसमें वह सफल होते नजर आ रहे हैं। वहीं देवेंद्र जय कोलारस से विधायक हैं और बीजेपी ने उन्हें इसबार शिवपुरी का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है। यहां पर उनके समाज के वोट तो अधिक नहीं हैं लेकिन यहां से अधिकतर बीजेपी के विधान सभा प्रत्याशी रहे है। तो इनका वोट बैंक अधिक है। अब देखना यह कि कांग्रेस के प्रत्याशी बीजेपी के वोटबैंक में और अधिक मतदान करने के लिए वोटर को कितना प्रभावित करने में सफल होते है। 

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