
उच्च न्यायलय : पटवारी भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक पर हाईकोर्ट ने सरकार और कर्मचारी चयन मंडल से मांगा जवाब

जबलपुर । मध्यप्रदेश में बहुचर्चित पटवारी भर्ती पर लगी रोक को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। सोमवार को हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार और कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले पर अब अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी। पटवारी भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक पर जबलपुर निवासी उम्मीदवार प्रयागराज दुबे ने याचिका दायर की है। अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि 13 जुलाई को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ट्वीट के जरिए निरस्त कर दिया।
यह है मामला
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि मैं एक जनरल कैटेगिरी का छात्र हूँ। और मैं कई सालों तक कोचिंग करने के बाद परीक्षा में बैठा और मेरे 88.86% नंबर आए। छात्र ने बताया कि मुझे यकीन था कि निश्चित रूप से मुझे पटवारी की नौकरी मिल जाएगी, लेकिन शक के बिनाह पर ग्वालियर में पटवारी भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा हुआ है, उस पर एक तरफा फैसला लेते हुए निरस्त कर दिया। वकील आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री ने अपने अधिकारों से बाहर जाकर पटवारी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है। जबकि सिर्फ कर्मचारी चयन मंडल को ही भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने का अधिकार है। सीएम को यह बिल्कुल भी अधिकार नही है कि वह शक के कारण इतना बड़ा फैसला ले।
21 अगस्त को मांगा जवाब
वरिष्ठ अधिवक्ता संघ ने बताया कि व्यापम की हर परीक्षा संदेह के घेरे में रही है। पिछले पांच सालों से किसी ना किसी कारण भर्तीयां नही हो रही थी। बड़ी मुश्किल से पटवारी की परीक्षा हुई, और प्रयागराज को आशा थी कि पटवारी बनूंगा पर भर्ती में रोक लग गई। जबलपुर निवासी उम्मीदवार प्रयागराज दुबे की याचिका पर दलील देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को यह भी बताया कि चुनावी साल के चलते अपने फायदे के कारण पूरी पर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी जो कि कहीं से भी सही नहीं है। सोमवार को जस्टिस एमएस भट्टी की बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी किया है, और आगामी 21 अगस्त को जवाब मांगा है।