टीकमगढ़ । मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के चलते जिले में भी चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से बीते रोज सम्पन्न हो चुका है । जिले की तीनों विधानसभाओं के प्रत्याशियों का भविष्य मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग करते हुए ईव्हीएम में कैद कर दिया है। अब प्रत्याशियों के समर्थक अपने-अपने हिसाब से पार्टियों के जीत-हार के दावे पेश कर रहे हैं। हालांकि स्थिति तो 3 दिसम्बर को ही मतगणना के दिन स्पष्ट हो पाएगी िक कौन जीत का सेहरा पहनता है और किसको हार का सामना करना पड़ेगा।
टीकमगढ़ मुख्यालय की विधानसभा सीट का आंकलन मतदान के दूसरे दिन किया जाए तो मतदाताओं का मानना है कि बदलाव की ब्यार आई है और बदलाव जनता चाहती थी, जिसके फलस्वरूप जनता ने मतदान किया है। वहीं जिले की खरगापुर एवं जतारा की बात की जाए तो यहां भी दोनों विधानसभाओं पर ऐसी ही स्िथति सामने आ रही है। ज्यादा कह पाना अभी बड़ी मुश्िकल सी बात है मगर प्रत्याशियों के घर का जमावड़ा देख यह प्रतीत होता है कि सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। कोई भी प्रत्याशी हो वह यह कहने से तनिक भी कतरा नहीं रहा है कि उनकी जीत सुनिश्चित है। सभी दलों के प्रत्याशी अपने-अपने जीत के दावे ठोक रहे हैं।
बदलाव का वोट कांग्रेस के पक्ष में :
टीकमगढ़ विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी यादवेन्द्र सिंह बुन्देला ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि भाजपा से त्रस्त एवं बदलाव का वोट कांग्रेस के पक्ष में गया है जिससे कांग्रेस की जीत जिले की तीनों विधानसभाओं पर सुनिश्चित मानी जा रही है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार प्रचंड बहुमत के साथ बनेगी ऐसा पूर्व मंत्री श्री बुन्देला का मानना है। उन्होंने कहा कि सभी वर्गोँ का वोट कांग्रेस के पक्ष में गया है। इस बार का चुनाव मैंने नहीं बल्िक टीकमगढ़ विधानसभा की जनता ने लड़ा है और जनता का निर्णय सर्वोपरि होता है।
लाड़ली बहना के भरोसे भाजपा :
भाजपा संगठन की माने तो पार्टी लाड़ली बहना के भरोसे चुनाव जीतने का दावा कर रही है। टीकमगढ़ विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी समर्थक सोशल मीडिया पर जीत का आंकलन भी संख्या लिख कर रहे है। सूत्रों की माने तो पिछली बार का चुनाव इस विधानसभा से भाजपा जीती थी। इस बार भी भाजपा चुनाव जीतने के अहम दावे कर रही है। चूंकि तीन दिसम्बर मतगणना की तिथि तक तो कांग्रेस हो या भाजपा सभी को इंतजार करना पड़ेगा कि मतदाताओं ने किसे आशीर्वाद दिया है और किसको नकारात्मक जबाव से नवाजा है।
टैक्सी ने बिगाड़ा चुनावी गणित :
भाजपा से बागी हुए पार्टी के कद्दावर नेता एवं पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव ने चुनावी मैदान में निर्दलीय कूद कर टैक्सी में सवार होते हुए दोनों राष्ट्रीय दलों के चुनावी गणित िबगाड़ कर रख दिए हैं। कोई व्यक्ित टैक्सी से चुनाव होना बता रहा है तो किसी ने टैक्सी की जीत सुनिश्चित कर दी है। इस बार का चुनाव रोचक रहा है। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव के मैदान में आने से अभी कुछ कह पाना बड़ी ही मुश्िकल सी बात होती है। हालांकि दबी जुबान से लोग यह भी कहते दिखाई दे रहे हैं कि जो टैक्सी की रफ्तार शुरू में थी वह अंतिम समय में धीमी दिखाई दी है। निर्णायक भूमिका समझदार मतदाताओं की होती है और पढ़ा लिखा मतदाता पार्टियों के अलावा अपना मत खराब करने कतराता है। सोशल मीडिया इतनी सक्रिय हो चुकी है कि इस बार का चुनाव पूरा आकषर्ण का केन्द्र रहा है।