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विश्व निमोनिया दिवस: भोपाल में जागरूकता कार्यक्रम, नवजात बच्चों की विशेष जांच शिविर आयोजित

भोपाल।
12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर भोपाल जिले में कई स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस साल यह दिवस “Every Breath Counts: Stop Pneumonia in its Tracks” थीम पर मनाया गया। स्वास्थ्य संस्थाओं में लोगों को निमोनिया के लक्षण, बचाव और उपचार की जानकारी दी गई। इसके साथ ही नवजात और छोटे बच्चों की स्वास्थ्य जांच के लिए विशेष शिविर आयोजित किए गए।

निमोनिया के लक्षण और पहचान पर जोर

स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों में बच्चों के अभिभावकों को बताया गया कि सांस की गति गिनने के माध्यम से निमोनिया के शुरुआती लक्षण पहचाने जा सकते हैं। अगर बच्चे की सांस तेज चल रही हो या उसकी छाती धंस रही हो, तो यह निमोनिया का संकेत हो सकता है। सही समय पर पहचान और इलाज से गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है।

सांस (SAANS) अभियान की शुरुआत

इसी दिन से भोपाल में सांस (SAANS) अभियान भी शुरू किया गया, जो 28 फरवरी तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य समुदाय में निमोनिया की रोकथाम, बचाव और उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
अभियान के तहत:

स्वास्थ्य कर्मी 5 वर्ष तक के बच्चों के घर-घर जाकर स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे।

निमोनिया के आकलन, वर्गीकरण, और खतरनाक लक्षणों की पहचान के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण होगा।

निमोनिया से जुड़ी कुरीतियों और अंधविश्वास को दूर करने के लिए सामुदायिक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।


निमोनिया: बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण

निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, जिसमें बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण होते हैं। यह 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण है। भारत में बच्चों की 17.5% मौतें निमोनिया की वजह से होती हैं। सरकार ने 2025 तक इस आंकड़े को 3 हजार प्रति जीवित जन्म से कम करने का लक्ष्य रखा है।

सर्दी में बढ़ता है जोखिम

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) भोपाल, डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि सर्दियों में निमोनिया के मामले अधिक सामने आते हैं। इसके अलावा, प्रदूषण, धुआं, अपूर्ण टीकाकरण और कुपोषण भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं।

बचाव के उपाय

निमोनिया से बचाव के लिए विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए:

बच्चों का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करें।

6 माह तक केवल स्तनपान कराएं और बाद में संतुलित पूरक आहार दें।

बच्चों को विटामिन ए युक्त आहार दें।

स्वच्छता बनाए रखें और साबुन से हाथ धोने की आदत डालें।

घरेलू वायु प्रदूषण को कम करें।


निष्कर्ष

विश्व निमोनिया दिवस पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रमों ने इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन प्रयासों का उद्देश्य बच्चों में समय पर लक्षणों की पहचान और इलाज के माध्यम से उनकी जान बचाना है। विशेषज्ञों ने अभिभावकों से अपील की है कि वे स्वास्थ्य संबंधी सावधानियों का पालन करें और टीकाकरण में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें।

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