उत्तराखंड एनएच-74 घोटाले में दो IAS और पांच PCS अफसर निलंबित, 30 से अधिक अधिकारी और किसान जेल में
देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित राष्ट्रीय राजमार्ग-74 (एनएच-74) घोटाले में 15 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कई किसानों की संपत्तियों को भी अटैच किया है। मार्च 2017 में सामने आए इस घोटाले को उत्तराखंड का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है।
एनएच-74 घोटाले में पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह और सात किसानों के नाम प्रमुख आरोपितों के रूप में सामने आए हैं। ईडी ने शुक्रवार को आरोपितों के खिलाफ दाखिल किए गए आरोपपत्र का संज्ञान लिया। घोटाले की जांच के दौरान पाया गया कि यह मामला 400 करोड़ रुपये से अधिक का है। एसआईटी ने आरोपपत्र दाखिल किया और आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।
ईडी की जांच में अधिकारियों और किसानों की करोड़ों रुपये की संपत्तियों को अटैच किया गया। 10 सितंबर को ईडी ने दिनेश प्रताप सिंह, किसान जिशान अहमद, सुधीर चावला, अजमेर सिंह, गुरवैल सिंह, सुखवंत सिंह, सुखदेव सिंह और सतनाम सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। तत्कालीन एडीएम प्रताप शाह ने ऊधमसिंहनगर की सिडकुल चौकी में एनएचएआई के अधिकारियों, कर्मचारियों, सात तहसीलों के तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। इस घोटाले में दो IAS और पांच PCS अफसरों को निलंबित किया गया, जबकि 30 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी और किसान जेल में हैं। एनएच-74 घोटाले के मुख्य आरोपित दिनेश प्रताप सिंह एक साल से अधिक समय तक जेल में रहे।