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सस्टेनेबल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये टूरिज्म बोर्ड 2025 तक तैयार करोगा 1000 होमस्टे

विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून को_
_कार्बन फूटप्रिंट्स को कम करने में होमस्टे होते है मददगार- प्रमुख सचिव श्री शुक्ला_
_130 ग्रामीण होमस्टे तैयार, 100 गांव में 1000 हजार होमस्टे निर्माण का लक्ष्य_

भोपाल.। पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं समाधान खोजने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय है, “भूमि पुनरुद्धार, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता”, जिसका नारा है “हमारी भूमि, हमारा भविष्य”। इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए मध्यप्रदेश पर्य़टन विभाग द्वारा प्रदेश में पर्यावरण हितैषी परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इसमें से एक पहल है रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म मिशन (RTM) के तहत संचालित होमस्टे परियोजना। म.प्र. टूरिज्म बोर्ड द्वारा संचालित इस परियोजना में अब तक 41 गांव में 130 ग्रामीण होमस्टे का निर्माण किया जा चुका है। इन होमस्टे में अब हजारों पर्यटक ग्रामीण जीवन का अनुभव ले चुके हैं। हमारी भूमि, हमारा भविष्य के तहत ग्रामीणों को होमस्टे संचालन की जिम्मेदारी सौंपकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। इससे न सिर्फ पलायन में कमी होगी बल्कि गांव में ही रोजगार के अवसर सृजित हो रहे है। इसके साथ ही पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को भी कम किया जा रहा है। जैविक खेती, स्थानीय व्यंजनों और स्थानीय वास्तुकला का उपयोग करके संधारणीय निर्माण प्रथाओं (vernacular architecture) को बढ़ावा दिया जा रहा है।

*100 गांव में 1000 होमस्टे का लक्ष्य*
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति विभाग और प्रबंध संचालक म.प्र. टूरिज्म बोर्ड श्री शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में पर्यटक पर्यावरण पर आधुनिक जीवनशैली के कारण नकारात्मक प्रभाव के प्रति सजग है, वे पर्यावरण पदचिह्न (एन्वायरोन्मेंट फूटप्रिंट्स) के प्रति अधिक जागरूक होते जा रहे हैं। भ्रमण के दौरान होमस्टे का विकल्प चुनकर, यात्री न केवल अपने कार्बन पदचिह्न को कम करते हैं बल्कि स्थानीय समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं को भी मजबूत करते हैं। म.प्र. में होमस्टे अब तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इसी को देखते हुए टूरिज्म बोर्ड द्वारा आने वाले समय में 100 गांव में 1000 होमस्टे निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है। मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड राज्य के कार्बन पदचिह्न को कम करने और प्रदेश को पर्यावरण अनुकूल राज्य बनाने के लिए समर्पित है।

*12 होमस्टे को मिली ग्रीन लीफ रेटिंग*
पर्यटन उद्योग में स्वच्छता प्रथाओं में बदलाव लाने जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (DDWS) ने पर्यटन मंत्रालय के साथ मिलकर स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग (SGLR) पहल शुरू की है। यह रेटिंग पर्यटकों के लिए विश्व स्तरीय स्वच्छता और सफाई सुविधाओं के साथ-साथ टिकाऊ पर्यटन प्रथाओं को मान्यता देती है। प्रदेश में भी अब तक 12 होमस्टे को ग्रीन लीफ रेटिंग प्रदाय की जा चुकी है, जिसमें लाडपुरा खास, राधापुरा, बागान, गादरखेड़ा, छेड़का, साबनवानी इत्यादि गांव के होमस्टे शामिल है।

*होमस्टे परियोजना से सैकड़ों महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर*
राजा राम की नगरी ओरछा से 7 किलोमीटर की दूरी पर बसा लाडपुरा खास गांव। यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (UNWTO) द्वारा “बेस्ट टूरिज्म विलेज” की श्रेणी में नामांकित यह गांव प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। यहां रहने वालीं उमा पाठक एवं कमला शर्मा ने साल 2021 में मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के सहयोग से ग्रामीण होमस्टे का निर्माण किया था। पर्यटन के लाभ से अनजानी उमा एवं कमला ने शुरुआत में होमस्टे में कोई रूचि नहीं दिखाई लेकिन टूरिज्म बोर्ड द्वारा होमस्टे परियोजना के लाभ एवं सहयोग से अवगत कराया तो फिर वें मान गईं। आज उमा एवं रेखा के होमस्टे में कुल 970 पर्यटक ठहर चुके हैं, जिसमें 42 विदेशी पर्यटक हैं। प्रदेश में उमा और रेखा जैसी सैकड़ों महिलाएं है, जिन्हें टूरिज्म बोर्ड की होमस्टे परियोजना से न सिर्फ आजीविका का साधन मिला है बल्कि आत्मनिर्भर भी हुई हैं।

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