नई दिल्ली। पूर्व क्रिकेटर सुरेश सैना के फूफा अशोक कुमार की हत्या में 12 लोगों को उम्र कैद की सजा हुई है। कोर्ट में सजा के ऐलान के साथ ही देश में एक बार फिर से कुख्यात बावरिया गिरोह सुर्खियों में है। इस गिरोह के बदमाश खानाबदोश होते हैं। लूट, रेप और हत्या की वारदातों को अंजाम देने के बाद ये बदमाश घटना स्थल पर पॉटी करते हैं और मौके से फरार हो जाते हैं। कई बार ये अपनी पॉटी करने की आदत की वजह से पकड़े भी जाते हैं। आज इस प्रसंग में इस जनजाति और इनके आपराधिक गिरोह की चर्चा करेंगे। इस कहानी में बताएंगे कि मूल रूप से राजस्थान मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों रहने वाले इस जनजाति के लोग, जो कभी सेनानी थे, आज कैसे इतने बड़े अपराधी बन गए। प्रसंग की शुरुआत गुरुग्राम में करीब करीब 10 साल पहले हुई एक घटना से करेंगे। उन दिनों यहां छोटी बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं हो रही थीं। पुलिस लगातार मुकदमे तो दर्ज कर रही थी, लेकिन पुलिस को रेपिस्टों का कोई सुराग नहीं मिल रहा था। लगातार कई मामलों की जांच करते हुए पुलिस का ध्यान एक खास पैटर्न पर गया। उस समय मामले की जांच गुरुग्राम के एसीपी क्राइम संदीप कुमार कर रहे थे। मामलों की जांच के दौरान उन्होंने देखा कि हर घटना स्थल के पास पॉटी किया गया है। पुलिस ने इस पॉटी के जरिए मामले की जांच आगे बढ़ाई और एक 18-19 साल के युवक को हिरासत में ले लिया। इन घटनाओं से जुड़े सभी तथ्य इस युवक के खिलाफ थे, लेकिन वह लगातार पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहा था। इसके बाद पुलिस ने एक खास तरीका अपनाया और फिर आरोपी ने ना केवल वारदात कबूल ली, बल्कि इस गिरोह की पूरी कथा कहानी खोल कर रख दी।