चार महीने की गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती कराने में स्वास्थ्य विभाग ने दिखाई तत्परता: अंधविश्वास के कारण परिवार कर रहा था झाड़-फूंक पर भरोसा
*भोपाल।* मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार द्वारा उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान और उपचार के लिए मिशन मोड में काम किया जा रहा है। इसी प्रयास का उदाहरण तब देखने को मिला जब एक गंभीर रूप से एनीमिक गर्भवती महिला को, परिवार के अंधविश्वास के बावजूद, स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा अस्पताल में भर्ती कराया गया।
भोपाल के कुम्हार मोहल्ला पंचशील की रहने वाली पन्ना (बदला हुआ नाम) पत्नी राम सिंह, गर्भावस्था के चार महीने में गंभीर एनीमिया से पीड़ित थी, और उसका हीमोग्लोबिन स्तर केवल 4 ग्राम था। यह स्थिति मां और बच्चे दोनों के लिए बेहद खतरनाक थी, लेकिन परिजन झाड़-फूंक और अंधविश्वास के चलते उसे अस्पताल ले जाने से मना कर रहे थे। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए परिवार को समझाया और अंततः महिला को जयप्रकाश अस्पताल में भर्ती करवा कर ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराया गया।
इससे पहले, डॉ. कैलाशनाथ काटजू अस्पताल में महिला को खून चढ़ाने की सलाह दी गई थी, लेकिन परिजन उसे इलाज के बजाय घर वापस ले गए। अस्पताल प्रबंधन ने इस बारे में भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी को सूचित किया। महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए, डॉ. तिवारी ने तुरंत एक टीम को महिला के घर भेजा। परिजनों को संभावित खतरों के बारे में जागरूक किया गया, जिसके बाद वे महिला को अस्पताल लाने के लिए तैयार हो गए और वहां उसका इलाज शुरू हुआ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि महिला पिछले तीन महीनों से सुल्तानपुर में अपने ससुराल में रह रही थी और अगस्त महीने में भोपाल अपने मायके आई थी। इस दौरान एएनएम और आशा कार्यकर्ता ने उसकी जांच की और खून की कमी को देखते हुए 9 और 25 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान शिविर में सभी आवश्यक जांच की गई। हालांकि, परिजनों ने अंधविश्वास के कारण इलाज से इंकार कर दिया था। अब महिला का जयप्रकाश अस्पताल में इलाज जारी है और उसके पूरे गर्भकाल के दौरान नियमित फॉलोअप और उपचार की व्यवस्था की गई है।