भोपाल। भारतीय सेना के साहसी मिशन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता को समर्पित एक विशेष काव्य गोष्ठी का आयोजन अखिल भारतीय कला मंदिर समूह, भोपाल द्वारा विश्व संभाग केंद्र, शिवाजी नगर में किया गया। इस राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत साहित्यिक आयोजन का विषय “बोल उठा सिंदूर” रखा गया, जो भारत की सेना की वीरता और बलिदान को स्वर देने का एक प्रेरक माध्यम बना।
साहित्यकारों ने की सेना के पराक्रम की सराहना
गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर शर्मा ‘गौरीश’ ने की। मंच पर डॉ. साधना बलवटे (निदेशक, निराला सृजन पीठ), कार्यकारी अध्यक्ष हरिवल्लभ शर्मा ‘हरि’, उपाध्यक्ष सुरेश पटवा एवं डॉ. वंदना मिश्र की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम की शुरुआत साधना श्रीवास्तव द्वारा मधुर वाणी वंदना से हुई।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि पर राष्ट्रभक्ति की गूंज
डॉ. गौरीशंकर शर्मा ‘गौरीश’ ने स्वागत भाषण में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार भारतीय सेना ने पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डों पर ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से करारा जवाब दिया। उन्होंने अपनी ओजस्वी कविता “जागो जागो साहित्यकारों, अस्त्र बनाओ कलम सिंदूरी…” का पाठ कर उपस्थितजनों को राष्ट्रसेवा हेतु जागरूक किया।
साहित्य में प्रतिशोध और शौर्य की अभिव्यक्ति
विशिष्ट अतिथि डॉ. साधना बलवटे ने कहा – “शब्द मौन है, मन आक्रोशित, नयन रोष से रक्तिम है…”। वहीं हरिवल्लभ शर्मा ‘हरि’ की ग़ज़ल “नापाक पाक पिट के भी क्यों मानता नहीं…” ने श्रोताओं में जोश भर दिया। सुरेश पटवा ने पाकिस्तान के इतिहास और आतंक पोषण की प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर राष्ट्र को अपनी सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने होते हैं।
कविता पाठ में ओज और करुणा का संगम
कार्यक्रम में सीमाहरि शर्मा के संचालन में लगभग 50 प्रबुद्ध साहित्यकारों ने ओज, राष्ट्रप्रेम और आक्रोश से भरी कविताएं प्रस्तुत कीं। इस दौरान कर्नल विजयचन्द्र सिंह कपूर, एक आर्मी साइंटिस्ट, का विशेष सम्मान किया गया।
काव्य गोष्ठी में चौधरी मदन मोहन ‘समर’ ने सुनाया –
“बिना सिंध के हिन्द कहाँ है, रावी बिन पंजाब नहीं…”
किशन तिवारी ने कहा –
“युद्ध की तैयारियाँ हैं चाँद तारों पर…”
सीमा शिवहरे ‘सुमन’ की कविता –
“माँओं ने तुम्हें भेजा जंग पर, पत्थर करके अपनी छाती…”
ने माताओं के त्याग को भावुकता से चित्रित किया।
डॉ. प्रियंका श्रीवास्तव ने उद्घोषित किया –
“हम भारत के शूरवीर हैं, ध्वज अपना लहराएंगे।”
शरद पटेरिया ने सुनाया –
“बोल उठा सिंदूर, गरजा फिर सिंदूर।”
सुधा दुबे की कविता –
“ऑपरेशन सिंदूर से डरता दुश्मन देश देखा…”
ने कार्यक्रम को ऐतिहासिक संदर्भ से जोड़ा।
कार्यक्रम का समापन राम चालीसा और शांति प्रार्थना के साथ
डॉ. गौरीशंकर शर्मा द्वारा रचित “राम चालीसा” के पाठ के साथ सभी हुतात्माओं को श्रद्धांजलि दी गई और पाकिस्तान को सद्बुद्धि की प्रार्थना की गई।
काव्य गोष्ठी में शामिल अन्य साहित्यकारों में प्रमुख नाम थे –
आशा सिन्हा कपूर, मृदुल त्यागी, मंजू पटवा, वीणा विद्या गुप्ता, सुनीता केसवानी, वी के श्रीवास्तव (सचिव), कृष्णकांत श्रीवास्तव (कोषाध्यक्ष), अरविंद मिश्र, गोकुल सोनी, अशोक धमेंनियां, अशोक निर्मल, पुरूषोत्तम तिवारी सहित्यर्थी, बिहारीलाल सोनी अनुज, सुरेश पबरा, शरद पटेरिया, राजेश तिवारी, तेजसिंह ठाकुर, संतोष कुमार सोनी, चंदर सिंह चंदर, सरदार मलिकसिंह मलिक, विनोद जैन, कमलेश नूर, अभिषेक जैन ‘अबोध’, सुनील दुबे, हरिओम श्रीवास्तव, डॉ. विमल कुमार शर्मा, रमेश श्रीवास्तव नन्द, अशोक गौर।
संपूर्ण कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन सचिव श्री वी. के. श्रीवास्तव ने किया।
भोपाल में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर ओजपूर्ण काव्य गोष्ठी, देशभक्ति और साहित्य का संगम
