भिंड: खदान संचालक की मनमानी, क्रेशर प्लांट ने खोखला किया पूरा इलाका
भिंड, गोहद: भिंड जिले के गोहद स्थित डांग पहाड़ पर संचालित क्रेशर प्लांट स्थानीय निवासियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। यहां चारों ओर खदानों की अंधाधुंध खुदाई के कारण जगह-जगह गड्ढे बन चुके हैं, जिससे स्थानीय लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है। क्षेत्र में रिहायशी बस्तियां, आंगनवाड़ी केंद्र, शासकीय स्कूल, श्मशान घाट और पशुओं के आम रास्ते होने के बावजूद खदान संचालक बिना किसी सायरन या चेतावनी के विस्फोट करते हैं, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि खदान संचालक हरपाल उर्फ विचौले तोमर ने सुरक्षा नियमों का पूरी तरह उल्लंघन किया है। खदान के चारों ओर न तो मुड़िया (सुरक्षा बैरिकेड) लगाई गई है और न ही रॉयल्टी का समय पर भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा, खदानों की सुरक्षा के लिए कोई भी ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। शिकायत के बाद भी प्रशासन और खनन अधिकारी मामले को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे संचालक की मनमानी जारी है।
खनन माफिया की मिलीभगत
स्थानीय लोगों का आरोप है कि खदान संचालक और खनन अधिकारी की सांठगांठ के चलते रात में और दिन में अलग-अलग स्थानों पर अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे पूरा इलाका खोखला हो चुका है। हाल ही में ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत के बाद एसडीएम पराग जैन और खनन अधिकारी मनीष धाकड़ ने निरीक्षण किया था, लेकिन खनन अधिकारी ने गोहद के राजस्व अधिकारियों को गुमराह कर दिया।
गरीब आदिवासी महिला के नाम पर हो रहा शोषण
मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि खदान को गुड्डी आदिवासी नामक महिला के नाम पर लीज कराकर खदान संचालक उसकी आड़ में खनन कर रहा है। इस लीज का इस्तेमाल कर संचालक न केवल अवैध खनन कर रहा है, बल्कि गरीब महिला आदिवासी का शोषण भी कर रहा है।
कलेक्टर से कार्रवाई की उम्मीद
जिले के तेज-तर्रार कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से ग्रामीणों को उम्मीद है कि यदि वे स्वयं इस मामले का निरीक्षण करें, तो खदान और क्रेशर प्लांट पर जल्द ही कार्रवाई हो सकती है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि अवैध खनन को रोकने और क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन जल्द से जल्द कदम उठाए, ताकि इलाके में शांति और सुरक्षा बहाल हो सके।
प्रशासनिक कार्रवाई का इंतजार
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही इस अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई गई, तो वे बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे। देखना होगा कि जिला प्रशासन कब और क्या कदम उठाता है, ताकि खदान संचालक की मनमानी पर लगाम लगाई जा सके।
इस मामले में प्रशासन और खनन विभाग की लापरवाही से ग्रामीणों में आक्रोश है, और वे कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।