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एम्स भोपाल में होम्योपैथी से क्रॉनिक स्कैल्प सोरायसिस का सफल उपचार

भोपाल । एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अजय सिंह का मानना है कि एकीकृत स्वास्थ्य पद्धति को अपनाकर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं। इसी उद्देश्य से एम्स भोपाल के आयुष विभाग में होम्योपैथी द्वारा कई क्रोनिक बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है। हाल ही में, 21 वर्षीय एक युवक के स्कैल्प सोरायसिस का सफल इलाज किया गया।

यह युवक पिछले एक साल से सिर पर पपड़ी (प्लाक) जैसे घावों और बाल झड़ने की समस्या से परेशान था। कई डॉक्टरों से इलाज कराने के बाद भी उसे राहत नहीं मिली। अंततः, वह एम्स भोपाल के आयुष विभाग की होम्योपैथिक ओपीडी पहुंचा। डॉ. आशीष कुमार दीक्षित ने रोगी की जाँच के बाद पाया कि लंबे समय तक सिर पर पपड़ी जमने से घाव हो गए थे और बाल झड़ गए थे। लगभग 2 महीने के उपचार के बाद मरीज की स्थिति में आशातीत सुधार हुआ और सिर से पपड़ी पूरी तरह समाप्त हो गई तथा नए बाल वापस आ गए।

डॉ. दीक्षित ने बताया कि स्कैल्प सोरायसिस एक आम त्वचा विकार है, जिसकी विशेषता स्कैल्प पर मोटी, पपड़ीदार पट्टिकाएँ होती हैं, जो माथे, गर्दन के पीछे और कानों के आस-पास तक फैल सकती हैं। यह खुजली, बेचैनी और शर्मिंदगी का कारण बन सकता है, जो व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। गंभीर मामलों में, यह बालों के झड़ने और द्वितीयक संक्रमण का कारण बन सकता है।

प्रो. (डॉ) अजय सिंह ने कहा कि स्कैल्प सोरायसिस के प्रबंधन हेतु होम्योपैथी में और अधिक प्रमाणों की आवश्यकता है। इसके लिए मल्टीडिसिप्लिनरी शोध की जानी चाहिए। यह मामला पुरानी त्वचा संबंधी स्थितियों और उनकी प्रणालीगत अभिव्यक्तियों के प्रबंधन में होम्योपैथिक उपचारों की क्षमता को रेखांकित करता है।

एम्स भोपाल में होम्योपैथी के जरिए ऐसे क्रोनिक रोगों का इलाज एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आम जनता को लाभ पहुंचा सकता है। इससे न केवल रोगियों को राहत मिलेगी, बल्कि होम्योपैथी के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा।

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