भोपाल । एम्स भोपाल के फार्माकोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. अहमद नजमी द्वारा किया गया शोध स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर एक अहम चेतावनी लेकर आया है। काहिरा (मिस्र) में आयोजित 24वें इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस सम्मेलन में प्रस्तुत इस अध्ययन ने बताया कि लेटेक्स दस्तानों से एलर्जिक रिएक्शन और त्वचा विकार का खतरा बढ़ सकता है।
शोध का शीर्षक Medical Device Adverse Events Due to Personal Protective Equipment है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि स्वास्थ्य सेवा में प्रयुक्त PPE किट और ग्लव्स से होने वाली प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं को रोकने के लिए नाइट्राइल दस्तानों का उपयोग अधिक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है।
डॉ. नजमी ने सुझाव दिया कि स्वास्थ्य संस्थानों को PPE से जुड़ी घटनाओं के लिए पैच, आईजीई और प्रिक टेस्ट जैसी डायग्नोस्टिक जांच को नियमित रूप से अपनाना चाहिए। इससे एलर्जी से बचाव, कार्यदिवसों की हानि में कमी और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
यह अध्ययन भारत के मटेरियोविजिलेंस कार्यक्रम को सशक्त बनाता है और स्वास्थ्य उपकरणों की सुरक्षा के क्षेत्र में एम्स भोपाल की अग्रणी भूमिका को दर्शाता है।
एम्स भोपाल ने मेडिकल डिवाइस सुरक्षा के रुझानों का राष्ट्रीय मानचित्र तैयार किया
एम्स भोपाल की फार्माकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. शिल्पा काओरे ने ISoP 2025 सम्मेलन में “Pattern of Medical Device Adverse Events at Regional Training Centre of Materiovigilance from Central India” शीर्षक अध्ययन प्रस्तुत किया।
2021 से 2024 तक के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि सिरिंज, ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट्स, इन्फ्यूजन पंप और पेशेंट मॉनिटर्स जैसे उपकरणों से जुड़ी घटनाओं में रिपोर्टिंग बढ़ी है, जो स्वास्थ्यकर्मियों में बढ़ती सुरक्षा जागरूकता का संकेत है।
यह अध्ययन नीति-निर्माताओं के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है ताकि अस्पतालों की खरीद प्रक्रिया, डिवाइस क्वालिटी मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग सिस्टम को और सशक्त बनाया जा सके। इससे सर्जरी की सुरक्षा बढ़ेगी, जटिलताओं में कमी आएगी और रोगियों का विश्वास और मज़बूत होगा।एम्स भोपाल का यह प्रयास भारत को मेडिकल डिवाइस सुरक्षा में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में अग्रसर करता है।
सुरक्षित दस्ताने, सुरक्षित स्वास्थ्य सेवा: एलर्जी से बचाव हेतु एम्स भोपाल के शोध में नाइट्राइल दस्तानों की सिफारिश
