
दिव्यांगता प्रमाणन प्रक्रिया में पारदर्शिता, सटीकता और एकीकृत डिजिटल सिस्टम पर दिया गया जोर
भोपाल, मध्यप्रदेश । एम्स भोपाल लगातार चिकित्सा सेवाओं के उन्नयन, प्रशासनिक पारदर्शिता और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े संवेदनशील विषयों पर उल्लेखनीय पहल कर रहा है। इसी क्रम में कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर के नेतृत्व में भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग, एम्स भोपाल द्वारा लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, मध्यप्रदेश के सहयोग से रिवाइज्ड डिसएबिलिटी असेसमेंट गाइडलाइन्स वर्कशॉप का सफल आयोजन किया गया।
पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुआ उद्घाटन
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और स्वागत सत्र के साथ हुई। उद्घाटन अवसर पर उपस्थित प्रमुख अतिथियों में शामिल थे, डॉ. प्रज्ञा तिवारी, सीनियर संयुक्त निदेशक (विनियमन एवं नीति), लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, गुरमुख सिंह लांबा, सीनियर कंसल्टेंट, किशोर न्याय समिति, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, ज्ञानेंद्र पुरोहित, संस्थापक, आनंद सर्विस सोसाइटी, इंदौर, प्रो. (डॉ.) रजनीश जोशी, डीन अकादमिक एवं कार्यवाहक प्रमुख, भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग, एम्स भोपाल, डॉ. विठ्ठल प्रकाश पुरी, एसोसिएट प्रोफेसर, एम्स भोपाल
के अतिथियों ने वर्कशॉप के उद्देश्य तथा दिव्यांगता मूल्यांकन से संबंधित संशोधित दिशानिर्देशों पर अपने विचार साझा किए।
45 प्रतिनिधियों की सहभागिता, संभागीय व जिला चिकित्सा बोर्डों के विशेषज्ञ शामिल
वर्कशॉप में पूरे मध्यप्रदेश के 07 संभागीय चिकित्सा बोर्डों के अध्यक्ष, आरडी कार्यालय के मास्टर ट्रेनर्स, तथा भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, सागर, छिंदवाड़ा, धार और सीहोर के सिविल सर्जन सम्मिलित हुए। इसके अलावा आर्थोपेडिक्स, नेत्र रोग, ईएनटी तथा अन्य विशेषज्ञ सदस्यों की सहभागिता ने प्रशिक्षण को अत्यंत समृद्ध बनाया।
विशेष प्रशिक्षण: वैज्ञानिक और मानकीकृत दिव्यांगता आकलन पर फोकस
तकनीकी सत्रों में दिव्यांगता प्रमाण पत्र के वैज्ञानिक, सटीक और मानकीकृत मूल्यांकन पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। प्रमुख विषय थे: लोकमोटर दिव्यांगता, मानसिक रोग और बौद्धिक अक्षमता, दीर्घकालिक स्नायु संबंधी समस्याएँ, विशिष्ट शिक्षण अक्षमता एवं ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार, श्रवण एवं दृष्टि बाधितता, रक्त विकार और बहुविकलांगता।
प्रत्येक सत्र में केस-आधारित चर्चा, प्रलेखन, एसेसमेंट प्रक्रिया, तथा रिपोर्टिंग को व्यावहारिक रूप में समझाया गया।
दिव्यांगता प्रमाणन पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी होआयुक्त तरुण राठी
आयुक्त तरुण राठी ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ, दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सक्षम और सुव्यवस्थित बनाती हैं। उन्होंने जोर दिया कि चिकित्सीय अभिलेख-संरक्षण को सुदृढ़ किया जाए, भविष्य में सभी रिकॉर्ड पूरी तरह ऑनलाइन और इंटीग्रेटेड हों, कोई भी योग्य बच्चा अथवा व्यक्ति प्रमाण पत्र से वंचित न रहे, पंचायत स्तर पर स्क्रीनिंग और क्लस्टर पंचायतों में कैम्प आयोजित हों, जटिल मामलों को ब्लॉक स्तरीय चिकित्सा बोर्ड को भेजा जाए।
उच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित स्क्रीनिंग शिविरों का महत्वपूर्ण उल्लेख
गुरमुख सिंह लांबा ने एम्स भोपाल और राज्य स्वास्थ्य विभाग के सहयोग को सराहते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट को दिव्यांग बच्चों हेतु स्क्रीनिंग शिविर प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं, ताकि प्रमाणन प्रक्रिया अधिक तेज, वैज्ञानिक और सुगम हो सके।



