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लिथियम ब्लॉक मिलने से निर्मित हो रहे रामपुर बांध पर पड़ा असर

अब तक बांध पर हुए 44 करोड़ खर्च
* असर पड़ा तो प्रोजेक्ट बंद होने की संभावना
* लिथियम ब्लॉक के ऊपर है रामपुर डैम
* जमीन अधिग्रहण बाकी
कोरबा । प्रकृति और नेसर्गिता ने यु तो देश को खनिज संपदाओ के अनमोल खजाने उपहार स्वरुप दिए हैं, किंतु कोरबा अंचल को इन संपदाओ को देने में जी भर कर उदारता दिखाई हैं। एक और जहा कोयला, बाक्साईड, डोलोमाइट, आदि की बेतहाशा उपलब्धताओ ने उल्लेखनीय सौगाते दी हैं। वही दुसरी और कोरबा जिले के कटघोरा तहसील मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम रामपुर गौरमा नाले के निकट मिले राष्ट्रीय बहुआयामी खनिज संपदा लिथियम के अटूट खजाने की भनक से यह पूरा अंचल एक और जहा हर्षोउल्लासित हो उठा वही दुसरी और एक अजीब सी विसंगति बनकर उभरी अंचल की इस सौगात पर पीड़ा की चादर भी उढ़ा दी। यह पीड़ा महज इस बात की हैं कि जिस स्थल पर लिथियम का भंडार हैं वह जमीन की सतह से मात्र 760 मीटर ही नीचे है। यहां यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं की इस भंडार के ऊपरी शीर्ष भू-भाग पर पूर्व में ही एक महत्वपूर्ण योजना रामपुर जलाशय के रूप में मूर्त रूप लेने लगी इस योजना को मूर्त रूप देने अभी तक लगभग 44 करोड़ रुपए खर्च हो चुके है। यह उलेखनीय हैं की यदि खनिज संपदा लिथियम का दोहन करना ही पडेगा, तो भू-तल पर निर्माणाधीनं रामपुर जलाशय योजना की भ्रूण हत्या करने की विवशता अवश्य आन पड़ेगी।
कोरबा जिले की पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक में निर्माणाधीन जिले के सबसे बढ़ी लघु सिंचाई योजना रामपुर जलाशय का भविष्य लिथियम ब्लॉक आसपास के क्षेत्रों में मिलने की वजह से अधर में लटक रहा है। बताया जा रहा हैं लिथियम का भंडार जलाशय से मात्र 760 मीटर ही नीचे है। खदान शुरू होने पर जलाशय में कितना असर हो सकता है, इसकी जांच प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही आगे का काम होगा। फिलहाल जमीन अधिग्रहण और वन भूमि का प्रकरण भी लंबित है। शासन की और से भी अभी तक जल संसाधन विभाग को अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है।
जानकारी के अनुसार कटघोरा से 7 किलोमीटर दूर ग्राम रामपुर के निकट गौरमा नाले पर जलाशय बनाने की मंजूरी राज्य शासन ने वर्ष 2005 में दी थी। उस समय 18 करोड़ की मंजूरी मिली थी लेकिन बीच में काम बंद होने से 19 वर्ष बाद इसकी लागत लगभग 83 करोड़ पहुंच गई है। अब तक हेड वर्क और नहर निर्माण में लगभग 44 करोड़ रुपए खर्च हो चुका है। जलाशय निर्माण के लिए रामपुर के धनवारपारा, बस्तीपारा और ग्राम डंगनिया इंगनिया की करीब 334,14 हेक्टेयर जमीन अधिकृत की जा रही हैं। साथ ही पुनर्वास के लिए भी प्रावधान रखा गया है। जलाशय पर निर्माण शुरू हुआ तो उसका ग्रामीणो ने विरोध किया था। इसके कारण भी कई बार काम रोकना पड़ा। अभी भी जमीन अधिग्रहण का कार्य पूरा नहीं हुआ हैं। इसी बीच लगभग एक साल पहले भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण संस्थान ने सर्वे किया तो रामपुर जलाशय के आसपास लिथियम भंडार होने पुष्टि की। लिथियम ब्लॉक की नौलानी भी हो चुकी है। इसका खनन भी आने वाले दिनों में शुरू होगा। इसके पहले सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जलाशय और लिथियम ब्लॉक की दूरी के संबंध में जानकारी ली तो 760 मीटर दूरी पाई गई। यह नाले के बहाव क्षेत्र में भी नहीं है। लिथियम खदान खुलने से नहर पर प्रभाव जरूर पड़ेगा।
* खदान से असर होने पर डैम की योजना बंद हो जाने की संभावना
लिथियम खदान शुरू होने पर जलाशय पर अधिक असर होने पर रामपुर जलाशय योजना को बंद कर देने की संभावना जताई जा रही हैं। इसीलिए संबंधित विभाग इसके निर्माण में कोई भी राशि खर्च नहीं कर रहा हैं। दूरी कम होने की वजह से इस पर असर होने की संभावना जताई जा रही हैं, लेकिन अंतिम निर्णय इसकी जांच के पूर्ण होने के बाद ही लिया जाएगा।
* जलाशय से 16 ग्रामो को मिलेगा लाभ, 2004 हेक्टेयर में होंगी सिंचाई
रामपुर जलाशय के निर्माण से 15 ग्रामो में सिंचाई होगी। इसके लिए 5.90 किलोमीटर दांयी तट नहर और 5.40 किलोमीटर बांयी तट नहर का निर्माण कराया जा रहा हैं। 3570 मीटर नहर बन चुकी हैं। 16 ग्रामो में कटघोरा ब्लॉक के जेंजरा, धवईपुर, ढूँढ़का, चिर्रा, हुंकरा, नवागाओ, महेशपुर,गांगपुर, मिशनपुर, सलोरा सहित पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के कई गांव है।
* वन भूमि क्लीयरेंस नहीं होने से नाला क्लोजर का काम बाकी
रामपुर जलाशय अंतर्गत वन भूमि की जमीन भी आ रही है। इसका वन व पर्यावरण मंत्रालय से अब तक क्लीयरेंस नहीं मिला है। जलाशय का पूरा कार्य हो चुका है। सिर्फ नाला क्लोजर कार्य ही बचा है। इसके बाद पानी का भराव शुरू हो जाएगा, लेकिन इसकी प्रक्रिया अभी भी चल रही है।
* ग्राम खुटरीगढ़ के पास पुनर्वास हेतु 5 हेक्टेयर जमीन चिन्हित
रामपुर जलाशय से ग्रामीण प्रभावित हो रहे हैं। उनके पुनर्वास हेतु ग्राम खुटरीगढ़ के पास 25 हेक्टेयर जमीन आरक्षित की गई है। प्रत्येक परिवार को 2000 स्क्वायर फीट जमीन दी जाएगी। साथ ही यहां स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, हैंडपंप, मंच सहित अन्य सुविधा के लिए भी जमीन आरक्षित हैं लेकिन ग्रामीण 10 डिसिमल जमीन प्रति परिवार को देने की मांग कर रहे है ताकि खलिहान और गौठान भी बना सके।
* राज्य शासन के दिशा-निर्देश पर ही होंगी आगे की कार्यवाही
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता एस.एल. द्विवेदी का कहना है कि लिथियम भंडार के संबंध में अभी पूरी जानकारी नहीं मिली है। राज्य सामन से इसके लिए दिशा-निर्देश लेंगे। इसके बाद ही आगे को कार्यवाही होगी। अभी सभी तथ्य जुटा रहे हैं। जलाशय पर कितना असर होगा, यह जांच के बाद ही पता चलेगा।

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