
भोपाल, । एम्स भोपाल ने एक नवीन अध्ययन के जरिए यह प्रमाणित किया है कि योगिक श्वसन अभ्यास प्राणायाम न केवल तनाव को कम करने में सहायक है, बल्कि हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी प्रभावी साबित हो सकता है। इस अध्ययन में खास तौर पर राइट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग (RNB) और लेफ्ट नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग (LNB) पर ध्यान केंद्रित किया गया और इनके सकारात्मक जैविक प्रभावों को मापा गया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्राणायाम के लाभ
एम्स भोपाल के फिजियोलॉजी और आयुष विभाग के संयुक्त अध्ययन में पाया गया कि महज 5 मिनट के प्राणायाम अभ्यास से ही प्रतिभागियों में हार्ट रेट वेरिएबिलिटी (HRV) में सुधार देखने को मिला — जो हृदय और ऑटोनॉमिक तंत्रिका तंत्र के संतुलन का महत्वपूर्ण संकेतक है। शोधकर्ता डॉ. वरुण मल्होत्रा ने बताया, “प्राणायाम से साँसों की गति धीमी होती है, जिससे दिल की धड़कन स्थिर होती है और शरीर का झुकाव विश्राम की अवस्था की ओर हो जाता है। दोनों तकनीकों से लाभ मिले, लेकिन LNB तकनीक ने अधिक शांति प्रदान की, जैसा कि योग ग्रंथों में भी उल्लेखित है।”
यह अध्ययन जर्नल ऑफ एजुकेशन एंड हेल्थ प्रमोशन में प्रकाशित हुआ है और यह दर्शाता है कि प्राणायाम जैसी साधारण, बिना दवा की तकनीक भी हृदय और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक प्रभावशाली उपाय हो सकती है।
योग दिवस अभियान: “योग रखे निरोग”
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में एम्स भोपाल 30 दिवसीय विशेष अभियान “योग रखे निरोग” चला रहा है। इस अभियान का शुभारंभ संस्थान के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। आयुष विभाग द्वारा संचालित इस पहल का उद्देश्य आमजन को योग और प्राणायाम को जीवनशैली में शामिल करने के लिए प्रेरित करना है। हर दिन एक नई योग मुद्रा और उसके लाभों की जानकारी दी जाएगी ताकि लोग स्व-स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और उत्तरदायी बनें।
कोविड काल में भी रहा योग का प्रभाव
एम्स भोपाल के वरिष्ठ आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ. दानिश जावेद ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन योग सत्रों की शुरुआत की गई थी, जिससे मरीजों को तनाव में राहत और बेहतर मानसिक स्थिति का अनुभव हुआ। आज भी एम्स भोपाल नियमित रूप से मरीजों के लिए योग और ध्यान सत्र आयोजित करता है।