पूजाश्री माताजी का सल्लेखना पूर्वक समाधि मरण, समाजजनों ने दी विनयांजलि
*भोपाल* – जैन समाज की पूज्य आर्यका दृढ़मति माताजी के सानिध्य में 10 सितम्बर से अन्न और जल का त्याग कर सल्लेखना में लीन पूजाश्री माताजी का आज प्रातः 5:47 बजे समाधि मरण हुआ। इस दौरान ब्रह्मचारिणी बहनें और श्रद्धालु निरंतर णमोकार मंत्र का जाप करते रहे। राजधानी के समीप समसगढ़ तीर्थ क्षेत्र में विधि-विधान के साथ उनकी अंतिम क्रिया सम्पन्न की गई, जिसमें समाज के वरिष्ठजनों ने अपनी विनयांजलि अर्पित की।
**मीडिया प्रभारी अंशुल जैन** ने बताया कि पूजाश्री माताजी का सांसारिक नाम चंचल जैन था। वे नयापुरा मंदिर समिति कोलार के अध्यक्ष अनिल जैन की भतीजी और सुधीर जैन की धर्मपत्नी थीं। उनकी दो बेटियाँ (9 और 4 वर्ष की) हैं। जनवरी 2021 में उन्हें लीवर कैंसर की चौथी स्टेज का पता चला, जिसके बाद 90 से अधिक कीमोथेरेपी हुई। स्थिति गंभीर होने पर चंचल जैन ने परिवारजनों से सल्लेखना लेने की इच्छा जताई।
10 सितम्बर को चौक जैन मंदिर में चातुर्मास कर रही **आर्यका गुरूमति माताजी** और **दृढ़मति माताजी** के सानिध्य में उन्होंने अन्न और जल का त्याग कर मौन साधना प्रारंभ की। जैन धर्म के अनुसार, जब शरीर गंभीर बीमारी से घिर जाता है और कोई उपचार संभव नहीं रहता, तो श्रावक और साधु-संत अपने भव सुधारने के लिए सल्लेखना धारण करते हैं। इसे जैन धर्म में अत्यंत पवित्र और मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होने का साधन माना जाता है।
अंशुल जैन ने आगे बताया कि जैन धर्म में सल्लेखना को मृत्यु महोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें व्यक्ति अपने अंतिम समय को धर्म और ध्यान में बिताता है। पूजाश्री माताजी की सल्लेखना और समाधि मरण जैन सिद्धांतों के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक है।
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