
भोपाल, माखनपुरम: माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और मीडिया एंड सोशल मीडिया रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में “संस्कृति और मीडिया की भूमिका” पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन स्वामी विवेकानंद सभागार में किया गया, जिसमें कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने अपने विचार साझा किए।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलगुरु प्रो. (डॉ.) के.जी. सुरेश ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “संस्कृति हमारे आचार-विचार, वेशभूषा और मूल्यों में बसी है। भारतीय संस्कृति हमारे जीवन दर्शन और विरासत का अभिन्न हिस्सा है। संस्कृति का अंतिम उद्देश्य समाज और राष्ट्र का निर्माण होना चाहिए।”
मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री उदय माहुरकर ने ओटीटी प्लेटफार्मों पर बढ़ते विकृत कंटेंट पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “विकृत कंटेंट समाज और संस्कृति के लिए एक बड़ा खतरा है। इस तरह की सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए कठोर कानूनों की आवश्यकता है।” उन्होंने पोर्नोग्राफी को भी समाज के लिए अत्यंत खतरनाक बताया और इसे दुष्कर्म के मामलों का प्रमुख कारण माना।
विशिष्ट अतिथि, भोपाल के पुलिस आयुक्त श्री हरिनारायणचारी मिश्रा ने मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मीडिया का उद्देश्य सनसनीखेज खबरें प्रकाशित करने के बजाय सकारात्मक खबरें प्रसारित करना होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि सूचनाओं का विस्फोट, जो डिजिटल युग की देन है, एक गंभीर चिंता का विषय है। “पिछले एक दशक में जितने परिवर्तन हुए हैं, वे पिछले 100 वर्षों में भी नहीं हुए,” मिश्रा ने जोड़ा।
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक और संगोष्ठी के मुख्य वक्ता श्री विकास दवे ने भारत की गौरवशाली संस्कृति पर बात करते हुए कहा, “संस्कृति से ही राष्ट्र का निर्माण होता है।” उन्होंने इसे समाज का पांचवा तत्व बताया।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के कई प्रमुख सदस्यों, शिक्षकों और छात्रों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री शुभम वर्मा द्वारा किया गया, जबकि मोनिका अरोरा ने सूत्रधार की भूमिका निभाई।