मन्दसौर: सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग के समक्ष एक बड़ी चुनौती है—क्या वे सहकारिता विभाग से पंजीकृत सोसायटीयों का आतंक समाप्त कर पाएंगे? इन सोसायटीयों द्वारा बैंक ब्याज दर से अधिक ब्याज वसूली के मामलों ने आम जनता के बीच भय और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
ब्याज दर और अवैध वसूली
बायलाज में बैंक ब्याज दर से केवल 1% अधिक ब्याज लेने का प्रावधान है, लेकिन मन्दसौर में कुछ सोसायटीयाँ 18% से भी अधिक ब्याज वसूल रही हैं। क्या ये सोसायटीयाँ बंद की जाएंगी? क्या इनके खिलाफ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज किए जाएंगे?
श्री सिद्धिविनायक सोसायटी का मामला
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास और जिला कलेक्टर दिलीप यादव को शिकायतें मिली हैं कि श्री सिद्धिविनायक सोसायटी के संचालक नितिन लालवानी फ्रॉड कर रहे हैं। राठाना निवासी कन्हैयालाल विश्वकर्मा का आरोप है कि उनका लोन कई बार बिना जानकारी के रिन्यू कर दिया गया और 10 लाख के लोन पर 13.25 लाख वसूले गए। जमानतदार नरेश पारवानी के 5 लाख रुपये भी लोन के तहत काटे गए। इसके साथ ही, 3 लाख का केस चेक के माध्यम से अदालत में प्रस्तुत किया गया।
नियमों का उल्लंघन
सहकारिता विभाग के नियमों के अनुसार, सोसायटीयों को बैंक ब्याज दर से 1% अधिक ब्याज लेने का प्रावधान है। लेकिन प्रोसेसिंग फीस, वकील फीस, चेक चार्ज और फाइल चार्ज का कोई प्रावधान नहीं है। इन नियमों का उल्लंघन करते हुए नितिन लालवानी पर आरोप है कि वे आम जनता को लूट रहे हैं।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
कन्हैयालाल विश्वकर्मा ने सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग और आयुक्त आलोक कुमार सिंह से उच्च स्तरीय जांच और एफआईआर की मांग की है। उनका कहना है कि संचालक स्टेटमेंट मेंटेन नहीं कर रहे हैं और रूपये मांग रहे हैं। गरीब किसान को अपनी जमीन बेचकर ग्यारंटर के नाम रजिस्ट्री करवानी पड़ी।
जांच और कार्रवाई की उम्मीद
मामला यह है कि क्या सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग और आयुक्त आलोक कुमार सिंह इन सोसायटीयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे और एफआईआर दर्ज करवाएंगे। देखना यह है कि क्या सहकारिता विभाग अपने अधीनस्थ सोसायटीयों पर कोई कार्यवाही कर पाएगा या नहीं।
रिपोर्टर राजपाल सिंह परिहार
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