
मंदसौर । मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के शामगढ़ तहसील के ग्राम असावती में किसान कालूराम पिता साधु ने पटवारी और नायब तहसीलदार राकेश बर्डे के उत्पीड़न के कारण अपनी जमीन तहसीलदार कार्यालय के नाम करने की बात कही है। किसान कालूराम ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि वह पटवारी और नायब तहसीलदार की प्रताड़ना से त्रस्त है और अपनी जमीन छोड़कर तीर्थ यात्रा पर जाने को मजबूर हो गया है।
किसान की आपबीती
फरियादी किसान कालूराम ने बताया कि उन्होंने अपनी खरीदी जमीन को पत्नी अनोखीबाई और बेटे कचरूलाल के नाम किया था, जिसका सर्वे नम्बर 990/1 है। उनके पड़ोसी सरदार पिता भगवान ओढ़ ने कई बार रात में गुंडों को बुलाकर जमीन पर कब्जे की कोशिश की और जेसीबी से खाई भी लगाई। पहली बार जब कालूराम ने जमीन की नपती के लिए प्रयास किया, तो पूर्व गिरधावर राकेश गवरिया ने रिश्वत के पचास हजार रुपये मांगे थे, जो कालूराम समय पर नहीं जुटा पाए। बाद में कालूराम को मारपीट कर घायल किया गया और जेल भेजा गया।
दुर्व्यवहार और अन्याय
10 मार्च 2024 को दबंगों ने खेत पर पार्टी रखी और कालूराम के खेत में दो बीघा जमीन पर जेसीबी से खाई लगा दी। किसान कालूराम ने सभी संबंधित अधिकारियों को आवेदन दिया, लेकिन आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा, कालूराम को जेल जाना पड़ा और एक माह छः दिन तक जेल में रहना पड़ा।
नपती और पटवारी की भूमिका
किसान कालूराम ने पुनः नपती के लिए आवेदन दिया, लेकिन पटवारी दल ने नपती सही नहीं की। कालूराम ने बताया कि पटवारी अरुण तोमर ने पंचनामा की कॉपी 24 जून 2024 को दी और भी गलत तरीके से। जब कालूराम ने नायब तहसीलदार राकेश बर्डे से बुवाई न करने की बात की, तो सरदार पिता भगवान ने बुवाई कर दी। नायब तहसीलदार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
किसान का फैसला
किसान कालूराम ने कहा कि वह अब अपनी जमीन तहसीलदार कार्यालय के नाम करवा कर तीर्थ यात्रा पर जाने को मजबूर है। अगर कालूराम को कुछ होता है, तो उसकी पत्नी के अनुसार पटवारी अरुण तोमर, नायब तहसीलदार राकेश बर्डे और सरदार पिता भगवान ओढ़ जिम्मेदार होंगे।
दोषियों की सूची
1. सरदार पिता भगवान ओढ़
2. प्रभुलाल पिता सरदार
3. दसरथ पिता प्रभुलाल
4. रामू पिता सरदार
5. सत्यनारायण पिता सरदार
6. धापू बाई
7. मेहरबान पिता नैन सिंह
किसान कालूराम की इस दर्दनाक स्थिति से सभी संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। क्या किसान कालूराम को न्याय मिल पाएगा? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है जिसका उत्तर अभी बाकी है।