मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: 30 साल पुराने रिश्वत मामले में सजा बरकरार
**इंदौर:** मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक 30 साल पुराने रिश्वत मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की सिंगल बेंच ने ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपी फूड इंस्पेक्टर को सुनाई गई सजा को बरकरार रखते हुए आरोपी की अपील को खारिज कर दिया। इस मामले की सबसे दिलचस्प बात यह है कि आरोपी की कई वर्षों पहले ही मौत हो चुकी थी, लेकिन परिजनों ने अपील पर सुनवाई जारी रखी थी, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है².
### मामले का संक्षिप्त विवरण
करीब 33 साल पहले, 9 अक्टूबर 1991 को फूड एंड सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन के फूड इंस्पेक्टर शिवदर्शन ने पान मसाला फैक्ट्री में मिलावट के केस में शिकायतकर्ता अनिल की पत्नी का नाम हटाने के लिए एक हजार रुपए रिश्वत मांगी थी। लोकायुक्त पुलिस ने डेंटल कॉलेज के पास केंटीन में आरोपी फूड इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था².
### ट्रायल कोर्ट का फैसला
30 अक्टूबर 1999 को ट्रायल कोर्ट ने शिवदर्शन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाते हुए एक साल की कैद और एक हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया था। इस निर्णय के विरुद्ध फूड इंस्पेक्टर ने उसी साल हाई कोर्ट इंदौर में क्रिमिनल अपील दायर की थी².
### हाईकोर्ट की सुनवाई
इस बीच, कुछ साल पहले आरोपी की मौत हो गई। इसके बावजूद, परिजनों ने अपने वकील के माध्यम से अपील पर जिरह जारी रखी। सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद, हाई कोर्ट ने अपील को निरस्त कर दिया².
### लोकायुक्त पुलिस की भूमिका
अपील सुनवाई में लोकायुक्त पुलिस की ओर से अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह रघुवंशी ने तर्क रखे थे, जो इस मामले में महत्वपूर्ण साबित हुए².