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मध्य प्रदेश सरकार के भारी कर्ज और मंत्रियों के बंगलों पर भारी खर्च

मंत्री बंगलों पर खर्च होंगे 18 करोड़ रुपए

भोपाल । मध्य प्रदेश सरकार, जो पहले से ही 3.5 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले है, अपने मंत्रियों के बंगलों के जीर्णोद्धार पर 18 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रही है। आवंटित सरकारी बंगलों से असंतुष्ट कई मंत्रियों ने अपने आवासों के नवीनीकरण की मांग की है। लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा इस कार्य को अंजाम दिया जाएगा, जिसके लिए राज्य वित्त समिति और प्रशासनिक मंजूरी मिल चुकी है।

मंत्रियों के बंगले पर भारी खर्च

प्रत्येक मंत्री के बंगले के जीर्णोद्धार पर 55 से 99 लाख रुपये तक का खर्च आएगा। इस सूची में प्रमुख मंत्रियों के नाम और उनके बंगलों पर होने वाला खर्च निम्नलिखित है:
– ऐदल सिंह कंसाना: 99 लाख रुपए
– कैलाश विजयवर्गीय: 91 लाख रुपए
– प्रहलाद सिंह पटेल: 91 लाख रुपए
– प्रतिमा बागरी: 80 लाख रुपए
– राकेश शुक्ला: 73 लाख रुपए
– उदय प्रताप सिंह: 82 लाख रुपए
– करण सिंह वर्मा: 55 लाख रुपए
– लखन पटेल: 55 लाख रुपए

PWD का बयान

PWD के अधिकारियों ने कहा कि मंत्रियों के बंगलों का जीर्णोद्धार उनकी जरूरतों के अनुसार किया जा रहा है। PWD मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि बंगले पुराने हो चुके हैं और उनके नवीनीकरण की आवश्यकता है। इसके अलावा, सरकार ने हाल ही में मंत्रियों के लिए पांच करोड़ रुपए की नई एसयूवी का भी ऑर्डर दिया है।

पर्यावरणीय चिंताएं और जनता का आक्रोश

भोपाल के तुलसी नगर और शिवाजी नगर में 29,000 पेड़ों को काटकर मंत्रियों और विधायकों के लिए आवास बनाने की योजना ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया। इस योजना के चलते सरकार को 2,378 करोड़ रुपये की परियोजना को स्थगित कर वैकल्पिक स्थलों की तलाश करनी पड़ रही है।

पिछले दो सालों में खर्च की गई राशि

पिछले दो सालों में, सीएम और मंत्रियों के बंगलों के सौंदर्यीकरण और रखरखाव पर सरकार ने 13.25 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। राज्य विधानसभा में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, 2020 से 2022 के बीच PWD द्वारा सीएम और मंत्रियों के बंगलों में कुल मिलाकर 18.50 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पिछले वित्त वर्ष में ही एमपी सरकार ने 42,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिसमें से 17,500 करोड़ रुपये नई सरकार ने मार्च तक केवल तीन महीनों में लिए थे।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश सरकार के वित्तीय संकट के बावजूद मंत्रियों के बंगलों पर भारी खर्च ने सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी आवासों के नवीनीकरण पर खर्च की गई राशि और इसके पर्यावरणीय प्रभाव ने जनता के बीच नाराजगी पैदा की है।

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