
इंदौर, मध्यप्रदेश: एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के लागू होने के बाद इंदौर में कमिश्नरी कोर्टों में प्रतिबंधात्मक धाराओं की सुनवाई बंद हो गई है। इस फैसले को लेकर वकीलों ने मुख्य न्यायमूर्ति और पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा और स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
वकीलों का आरोप है कि नई कानून व्यवस्था के तहत इंदौर में सभी एसीपी और डीसीपी कोर्ट में सुनवाई पूरी तरह से बंद हो गई है, जबकि भोपाल में स्थिति सामान्य है। भोपाल में सभी धाराओं के मामलों की सुनवाई जारी है, जो इंदौर में नहीं हो रही है। इस अंतर के कारण वकीलों ने सरकार और प्रशासन पर असंतोष जताया है।
ज्ञापन में वकीलों ने आरोप लगाया कि कानून मंत्रालय द्वारा पहले ही सूचित किया गया था, लेकिन इंदौर में इसकी तैयारी ठीक से नहीं की गई। इस वजह से इंदौर में अदालती कार्यवाही प्रभावित हुई है और थानों में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। थानों में रिपोर्ट दर्ज नहीं हो रही और अपराधियों को दो दिन तक थाने में रखा जा रहा है।
वकीलों ने मीडिया की भी आलोचना की है कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर मीडिया की उदासीनता समझ से परे है। ज्ञापन में इंदौर के कलेक्ट्रोरेट अभिभाषक व्यवस्था समिति के सदस्य ने इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है और स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली के अंतर्गत इंदौर में पिछले दो वर्षों से लागू कानूनों में बदलाव के बावजूद, अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। वकीलों ने इंदौर और भोपाल के बीच असमानता को दूर करने की मांग की है ताकि सभी नागरिकों को समान और न्यायसंगत कानूनी सेवाएं मिल सकें।