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भोपाल गैस त्रासदी प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल गुणवत्ता की जांच तेज, जल नमूनों की लैब टेस्टिंग जारी

गैस पीड़ित बस्तियों में सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का विशेष अभियान

भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी से प्रभावित क्षेत्रों में प्रदूषित जल आपूर्ति को लेकर गंभीरता बरती जा रही है। पेयजल की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गैस राहत विभाग, भोपाल नगर निगम, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की संयुक्त निरीक्षण टीम ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर जल नमूनों का संग्रहण किया।

यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही रिट याचिका क्रमांक 657/1995 – रिसर्च फाउंडेशन फॉर साइंस बनाम भारत संघ के निर्देशों और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं प्रधान जिला न्यायाधीश भोपाल के आदेशों के पालन में की गई।

किन क्षेत्रों में हुआ पेयजल निरीक्षण?
निरीक्षण दल ने निशातपुरा, शिव शक्ति नगर, प्रेम नगर, ब्रिज विहार कॉलोनी, न्यू आरिफ नगर, गरीब कॉलोनी, और कैची छोला जैसे गैस पीड़ित बस्तियों का दौरा किया। इन स्थानों पर नल और ट्यूबवेल आधारित जल स्रोतों से लिए गए पानी के नमूनों को प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजा गया है।

प्रमुख अधिकारियों की भूमिका:
निरीक्षण दल में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के न्यायाधीश सचिव श्री सुनीत अग्रवाल, गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के सहायक निदेशक श्री राकेश बजाज, नगर निगम के अधीक्षण यंत्री श्री गर्ग, कार्यपालन यंत्री श्री खान, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, PHED के अधिकारी तथा याचिकाकर्ता प्रतिनिधि सुश्री रचना ढींगरा शामिल रहे।

किन प्रदूषकों की हो रही जांच?
न्यायाधीश श्री सुनीत अग्रवाल के अनुसार, उन क्षेत्रों में जहां नगर निगम की पाइपलाइन से जल आपूर्ति नहीं हो रही है और लोग ट्यूबवेल जल पर निर्भर हैं, वहां के जल स्रोतों में हेवी मेटल्स (जैसे मरकरी, आर्सेनिक) एवं कीटनाशक अवशेषों (पेस्टिसाइड्स) की उपस्थिति की जांच मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जा रही है।

जांच का उद्देश्य क्या है?
इस व्यापक जल गुणवत्ता निरीक्षण अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भोपाल गैस त्रासदी प्रभावित क्षेत्रवासियों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल मिल सके, जिससे उन्हें जल जनित बीमारियों और रासायनिक प्रदूषण से सुरक्षा प्रदान की जा सके।

पृष्ठभूमि में है decades पुरानी पर्यावरणीय चिंता:
1984 की भोपाल गैस त्रासदी के बाद प्रभावित क्षेत्रों में भूमिगत जल स्रोतों में रसायनों के रिसाव की लगातार आशंका बनी रही है। स्थानीय निवासी लंबे समय से प्रदूषित जल आपूर्ति और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में यह निरीक्षण कदम न्यायिक निर्देशों के पालन के साथ-साथ जनस्वास्थ्य की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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