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कोरकू भाषा सम्मेलन: भोपाल में साहित्य अकादमी और अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय का संयुक्त आयोजन

भोपाल, । साहित्य अकादमी, नई दिल्ली और अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में, मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से, *कोरकू भाषा सम्मेलन* का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम गौरांजनी सभागार, रवींद्र समागम केंद्र, रवींद्र भवन परिसर में सम्पन्न हुआ।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथियों ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से के. श्रीनिवास राव, सचिव, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, प्रो. सुनील मावस्कर, प्रख्यात कोरकू लेखक, प्रो. धर्मेंद्र पारे, निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास, भोपाल,  प्रो. पी.सी. बारस्कर, पूर्व सचिव, लोक निर्माण विभाग, प्रो. खेमसिंह डहेरिया, कुलपति, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल,  शैलेन्द्र कुमार जैन, कुलसचिव, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल उपस्थित थे:

के. श्रीनिवास राव  ने कहा कि भारत में भाषाओं का एक बड़ा समूह है और विभिन्न भाषाओं में साहित्यिक रचनाओं का विकास हुआ है। प्रो. सुनील मावस्कर ने कहा कि कोरकू भाषा का इतिहास ओस्ट्रो-एसियाटिक (मुंडा) परिवार से जुड़ा है। यह भाषा धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर है और इसकी संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है। वहीं प्रो. धर्मेंद्र पारे ने  बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत मध्य प्रदेश में मातृभाषा को प्राथमिक शिक्षा में महत्व दिया जा रहा है। कोरकू की जनसंख्या लगभग 10 लाख है और इसे बचाने के लिए केवल शिक्षा नहीं बल्कि आचरण से भी प्रयास करना होगा। पी.सी. बारस्कर ने वक्तव्य में कहा कि कोरकू की जनसंख्या मध्य प्रदेश में 7.5 लाख और महाराष्ट्र में 2.5 लाख है। कोरकू भाषा में अनुसंधान और परियोजनाएं आवश्यक हैं। प्रो. खेमसिंह डहेरिया ने अध्यक्षता करते हुए अध्यक्षीय संबोधन में  कहा कि यह प्रथम कोरकू सम्मेलन विश्वविद्यालय के लिए खुशी की बात है। जनजातीय भाषा को बचाने के लिए गहन विचार, विमर्श, और शोध आवश्यक हैं।

इस सम्मेलन में विभिन्न प्रांतों से आए प्रोफेसर, विद्वान और विशेषज्ञों ने भाग लिया। सभी ने कोरकू भाषा से संबंधित शोध आलेखों का वाचन किया और विचार विमर्श किया। सभी प्रतिभागियों ने इस सम्मेलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आभार व्यक्त किया।

कोरकू भाषा सम्मेलन ने भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए नए विचार और सुझाव प्रस्तुत किए। इस आयोजन से कोरकू भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

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