
*पैतृक संपत्ति मिले या न मिले, माता-पिता का भरण-पोषण करना बच्चों का अनिवार्य कर्तव्य: हाईकोर्ट*
जबलपुर। **मध्य प्रदेश हाईकोर्ट** ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया कि **माता-पिता का भरण-पोषण करना संतान का कर्तव्य** है, चाहे पैतृक संपत्ति मिले या न मिले। यह आदेश नरसिंहपुर निवासी व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर दिया गया, जिसमें उसने अपनी वृद्ध मां के भरण-पोषण से इनकार किया था, क्योंकि उसे पैतृक संपत्ति नहीं मिली थी।
**मामले की पृष्ठभूमि:**
नरसिंहपुर के एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि उसे पैतृक संपत्ति नहीं मिली, इसलिए वह अपनी वृद्ध मां का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य नहीं है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई और यह स्पष्ट किया कि संपत्ति का विवाद चाहे जो भी हो, बच्चों का कर्तव्य है कि वे अपने माता-पिता की देखभाल करें।
**कोर्ट का फैसला:**
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को मां का भरण-पोषण करने का आदेश दिया और कहा कि अगर उसे संपत्ति को लेकर कोई विवाद है तो वह **सिविल कोर्ट** में जाकर उसका निपटारा कर सकता है, लेकिन उसे अपनी मां का भरण-पोषण हर हाल में करना होगा।
इस फैसले ने सामाजिक जिम्मेदारियों को लेकर एक अहम संदेश दिया है कि **माता-पिता की देखभाल संतान का नैतिक और कानूनी दायित्व** है, जिसे किसी भी परिस्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।