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अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग में अनियमितता: जिला शिक्षा अधिकारी और संकुल प्राचार्य एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप

भोपाल। अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के बाद हुई अनियमितताओं को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और संकुल प्राचार्य एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का कहना है कि संकुल प्राचार्य समय पर आवश्यक जानकारी नहीं दे पाए, जबकि संकुल प्राचार्यों का दावा है कि उन्होंने समय सीमा के भीतर जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को सौंप दी थी, लेकिन अधिकारी कार्यालय ने पोर्टल अपडेट नहीं किया। इसके बावजूद जिला स्तर पर काउंसलिंग आयोजित कर दी गई।

संकुल प्राचार्यों का कहना है कि उन्होंने शिक्षकों की सूची जमा की थी, जिसके आधार पर काउंसलिंग होनी चाहिए थी, लेकिन इस सूची को नजरअंदाज कर लापरवाही बरती गई। काउंसलिंग के बाद ऐसे शिक्षक, जो पुनः अतिशेष की स्थिति पैदा कर रहे थे, उन्हें रोककर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मार्गदर्शन लिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कई प्राचार्यों ने बिना विचार किए शिक्षकों को ज्वॉइनिंग दे दी, जिससे समस्या और बढ़ गई।

अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग में भाग लेने वाले शिक्षक भी इस स्थिति के लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं। वे जानते थे कि जिन शालाओं का चयन किया जा रहा है, वहां पद रिक्त नहीं हैं, फिर भी पोर्टल की त्रुटियों का फायदा उठाते हुए उन शालाओं को चुना। इस कारण से पुनः अतिशेष की स्थिति उत्पन्न हो गई।

अब आवश्यक है कि संकुल प्राचार्य और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय मिलकर इस स्थिति को सुधारें। जहां शिक्षकों की कमी है, वहां नवपदस्थ शिक्षकों को तैनात किया जाए, ताकि शालाओं में अतिशेष शिक्षकों की समस्या को हल किया जा सके और शिक्षण व्यवस्था में सुधार हो सके।

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