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शारदेय नवरात्रि में इंद्र-शिववास योग बन रहा दुर्लभ संयोग-

( पंडित अभिषेक शर्मा पत्रकार  877 041 4244)

पालकी में सवार होकर आएगी मां, अश्व पर होगा प्रस्थान, अप्राकृतिक घटना की आशंका 
धाश्र। शारदेय नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में ब हुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदेय नवरात्रि का आरंभ होता है और पूरे नौ दिनों तक मां आद्यशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है। इस संदर्भ में  चंबल के प्रसिद्ध ज्योतिष पंडित अभिषेक शर्मा ने बताया कि शारदेय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर से आरंभ होंगी। पर्व का समापन शनिवार 12 अक्टूबर को होगा। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं। जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं। शारदेय नवरात्रि काफी धूमधाम से मनाई जाती है। इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित की जाती है। साथ ही कई स्थानों पर गरबा रास का आयोजन भी किया जाता है। इस 9 दिन के महापर्व के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत भी रखा जाता है। पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है।
साल में चार बार आता है उपसना का पर्व
पंडित अभिषेक शर्मा ने बताया कि हिंदू धर्म में शारदेय नवरात्रि का विशेष महत्व है। मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदेय नवरात्रि होती है। पंडित अभिषेक शर्मा के अनुसार मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानि माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं। माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं। देवीभाग्वत पुराण के अनुसार सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है । इस वर्ष मां दुर्गा पालकी में सवार होकर आएगी।
संकेत डराने वाले, शक्ति की करें आराधना
पंडित अभिषेक के मुताबिक मां दुर्गा की सवारी जब डोली या पालकी पर आती है तो यह अच्छा संकेत नहीं है । मां दुर्गा का पालकी पर आना सभी के लिए चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है। वहीं उनकी वापसी शनिवार को है, मतलब उनके प्रस्थान की सवारी अश्व हैं और अश्व भी गति को प्रभावित करता हैं। इसलिए लोग थोड़े आशंकित भी हैं। उन्हें यह भूलना नहीं चाहिए कि मां दुर्गा तो हर परेशानी का समाधान करती हैं और वो हमेशा भक्तों की रक्षा करने के लिए तैयार रहती हैं। इस वर्ष अर्थ व्यवस्था गिरने से लोगों का काम धंधा मंदा पड़ने की आशंका है। वहीं देश-दुनिया में महामारी फैलने का डर है। लोगों को कोई बड़ी अप्राकृति घटना का सामना करना पड़ सकता है। 
कलश स्थापना मुहूर्त
शारदेय नवरात्रि में कलश स्थापना मुहूर्त  3 अक्टूबर प्रात:काल 6:22 से 7:26 बजे तक। अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11:55 से 12:42 बजे तक श्रेष्ठ रहेगा।  पंडित अभिषेक के मुताबिक नवरात्रि मां भगवती दुर्गा की आराधना करने का श्रेष्ठ समय होता है। इन नौ दिनों के दौरान मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि का हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप को समर्पित होता है, और हर स्वरूप की अलग महिमा होती है।आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है।

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