
एमसीयू में ‘भारत की भारतीय अवधारणा’ विषय पर युवा संवाद, भारतीय समाज, संस्कृति और धर्म पर रखे व्यापक विचार
भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) में आयोजित भारत की भारतीय अवधारणा पर युवा संवाद को संबोधित करते हुए सुप्रसिद्ध चिंतक डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि भारत सत्ता के प्रभाव से नहीं, बल्कि समाज की आत्मिक शक्ति और सांस्कृतिक एकता से एक राष्ट्र रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्र का अर्थ ‘नेशन’ नहीं है, भारत में न एक भाषा थी और न एक राजा, फिर भी उत्तर से दक्षिण तक समाज अध्यात्म, परंपरा और संस्कृति की एक डोर से बंधा रहा। डॉ. वैद्य ने कहा कि भारतीय समाज आत्मनिर्भर था, आयात पर नहीं बल्कि निर्यात पर आधारित था। विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी ब्रिटेन और अमेरिका से कई गुना अधिक थी। हर घर उद्यम का केंद्र था और उद्योगों में मातृशक्ति का विशेष योगदान माना जाता था। इसी कारण भारतीय समाज ने उत्पादन में प्रचुरता, वितरण में समानता और उपभोग में संयम को अपना मार्गदर्शक सिद्धांत बनाया।
धर्म की भारतीय अवधारणा पर विशेष जोर
डॉ. वैद्य ने कहा कि भारत में धर्म का अर्थ पंथ या चर्च से नहीं, बल्कि समाजोपयोगी कर्तव्य से है। धर्म भारतीय समाज को चलाता रहा है और तिरंगे का अशोक चक्र भी इसी धर्मचक्र का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय शब्द नहीं है, बल्कि पश्चिमी सत्ता संघर्ष से निकला सिद्धांत है जिसे 1976 में बिना विस्तृत बहस के संविधान में शामिल किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि 2014 के बाद भारत की आवाज़ विश्व मंच पर पुनः प्रभावी हुई है। द संडे गार्जियन ने लिखा था कि भारत फिर से स्वाधीन हुआ है, उन्होंने बताया।
कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी का संबोधन
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि डॉ. वैद्य का चिंतन यह समझाता है कि भारत को देखने की दृष्टि क्या होनी चाहिए। पत्रकारिता विश्व को 360 डिग्री में देखने की कला है और विश्वविद्यालय यही दृष्टि विद्यार्थियों को देता है।
नाटक फिल्म स्टार पाटोल बाबू का मंचन आज
सृजन श्रृंखला की दूसरी कड़ी के तहत 3 दिसंबर को दोपहर 3 बजे गणेश शंकर विद्यार्थी सभागार में रंग माध्यम नाट्य संस्था द्वारा नाटक ‘फिल्म स्टार पाटोल बाबू’ का मंचन किया जाएगा। निर्देशन दिनेश नायर द्वारा किया गया है।



