एम्स भोपाल और ईको इंडिया के बीच स्वास्थ्य सेवाओं में क्षमता विकास को लेकर हुआ महत्वपूर्ण समझौता, थैलेसीमिया की रोकथाम पर केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

भोपाल। एम्स भोपाल ने स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचार और पेशेवर दक्षता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए ईको इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में हुए इस समझौते का उद्देश्य मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य पेशेवरों के सतत व्यावसायिक विकास के लिए प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और सहयोगात्मक शिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करना है।
यह सहयोग AIIMS Bhopal Health Partnership और ECHO India Healthcare Training Initiative जैसे कीवर्ड्स को दर्शाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर बीटा थैलेसीमिया और हीमोग्लोबिनोपैथीज़ जैसे गंभीर रक्त विकारों की रोकथाम, पहचान और उपचार की दिशा में एक ठोस प्रयास है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) मध्यप्रदेश के सहयोग से चल रहे इस अभियान में ईको इंडिया विशेषज्ञ चिकित्सकों को प्रशिक्षित कर जनस्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत कर रहा है।
संयुक्त प्रयास से तैयार होंगे भविष्य के हेल्थ लीडर्स
इस समझौते के तहत विशेषज्ञों के नेतृत्व में वर्चुअल ट्रेनिंग, ज्ञान-विनिमय सत्र और मेडिकल वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा, जिससे AIIMS Bhopal के संकाय, रेजिडेंट डॉक्टर और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता लाभान्वित होंगे। यह सहयोग न केवल चिकित्सकीय जानकारी को अद्यतन करने का माध्यम होगा, बल्कि भारत में स्वास्थ्य शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में AIIMS-ECHO Strategic Collaboration को भी नया आयाम देगा।
डॉ. अजय सिंह ने बताया स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने वाला कदम
इस अवसर पर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “ECHO India के साथ यह साझेदारी सिर्फ चिकित्सकीय देखभाल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अकादमिक विकास, अनुसंधान और जनस्वास्थ्य नेतृत्व के निर्माण की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। हम अपने स्वास्थ्यकर्मियों में निवेश कर रहे हैं, ताकि वे जनस्वास्थ्य की बदलती चुनौतियों का आत्मविश्वास और संवेदनशीलता के साथ सामना कर सकें।”
जनस्वास्थ्य लक्ष्यों को मिलेगा नया बल
एम्स भोपाल के डीन (अनुसंधान) डॉ. रेहान-उल-हक़ ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “AIIMS Bhopal-ECHO India-NHM MP की यह त्रिपक्षीय रणनीतिक साझेदारी न केवल निरंतर चिकित्सकीय शिक्षण को सशक्त बनाएगी, बल्कि समुदाय-आधारित जनस्वास्थ्य लक्ष्यों को भी आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।”