भोपाल कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: डीएनए रिपोर्ट से खुला झूठे रेप केस का राज, राहुल सिंह को किया बरी

भोपाल । बढ़ते झूठे रेप केस के मामलों के बीच भोपाल की विशेष अदालत ने एक मिसाल कायम करते हुए 34 वर्षीय राहुल सिंह को झूठे बलात्कार और धमकी के आरोपों से मुक्त कर दिया है। यह निर्णय विशेष न्यायाधीश श्रीमती नीलू संजीव श्रृंगी ऋषि ने वैज्ञानिक साक्ष्यों, डीएनए रिपोर्ट और अभियोजन पक्ष की कमजोर गवाही के आधार पर सुनाया।
झूठे रिश्ते की बुनियाद पर खड़ा था पूरा मामला
इस मामले में शिकायतकर्ता महिला की पहचान को सुरक्षित रखने के लिए उसे ‘सविता’ नाम दिया गया है। वर्ष 2006 में शादीशुदा और तीन बच्चों की माँ सविता ने पारिवारिक विवाद के चलते वर्ष 2020 में तलाक की अर्जी दी थी। उसी दौरान उसकी मुलाकात निजी व्यवसायी राहुल सिंह से हुई। दोनों एक ही फाइनेंशियल नेटवर्किंग बिजनेस में जुड़े थे और राहुल ने उसे ₹40,000 की आर्थिक सहायता भी दी।
धीरे-धीरे दोनों के बीच संबंध गहरे हुए, जिसके बाद सविता ने आरोप लगाया कि राहुल ने शादी का झांसा देकर उसके साथ बार-बार बलात्कार किया।
होटल रेप का आरोप, पर नहीं मिले साक्ष्य
महिला ने दावा किया कि 11 अगस्त 2020 को राहुल ने भोपाल के एक होटल में नशीली कोल्ड ड्रिंक पिलाकर रेप किया। साथ ही आरोप लगाया कि कई बार वह उसे होटल बुलाकर शारीरिक संबंध बनाता रहा।
लेकिन पुलिस किसी होटल रजिस्टर, सीसीटीवी फुटेज या गवाह को कोर्ट में पेश नहीं कर सकी। महिला खुद भी होटल का नाम, फ्लोर या रूम नंबर बताने में असमर्थ रही।
डीएनए और मेडिकल रिपोर्ट ने किया केस का पर्दाफाश
जांच का निर्णायक मोड़ तब आया जब पीड़िता द्वारा सौंपे गए अंडरगारमेंट्स पर मिले स्पर्म का डीएनए राहुल के डीएनए से मेल नहीं खाया।
साथ ही, मेडिकल रिपोर्ट में न ही कोई चोट के निशान मिले और न ही जबरदस्ती का कोई सबूत। महिला के दावे कि उसके शरीर पर मारपीट व खरोंच के निशान थे, पूरी तरह से झूठे साबित हुए।
व्हाट्सएप चैट और महिला की स्वीकारोक्ति ने बदला मामला
राहुल के वकील वैभव प्रताप चंद ने कोर्ट में महिला के साथ हुई व्हाट्सएप चैट्स प्रस्तुत कीं, जिनसे साफ पता चलता है कि महिला खुद राहुल को बाहर चलने की ज़िद करती रही।
कोर्ट में महिला ने यह भी स्वीकार किया कि उसने अपने तलाक से पहले ही राहुल पर शादी का दबाव डालना शुरू कर दिया था।
ब्लैकमेलिंग का इरादा और कोर्ट की सख्त टिप्पणी
राहुल ने कोर्ट में कहा कि महिला ने उसे धमकी दी थी: “अगर तुमने शादी नहीं की, तो मैं तुम्हें रेप केस में फंसा दूंगी।”
कोर्ट ने माना कि:
महिला अब तक कानूनी रूप से विवाहित थी।
शादी का झांसा देकर रेप का दावा वैधानिक रूप से अमान्य है।
डीएनए और मेडिकल रिपोर्ट ने महिला के झूठे आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया।
मामला निजी स्वार्थ और मानसिक दबाव से प्रेरित झूठा मुकदमा प्रतीत होता है।
न्याय का पलड़ा सच्चाई के पक्ष में झुका
अंततः, विशेष अदालत ने IPC की धारा 376(2)(n) और 506 के तहत दर्ज बलात्कार और धमकी के मुकदमे में राहुल सिंह को पूरी तरह निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया।
यह फैसला उन झूठे रेप केसों के लिए चेतावनी है, जो कानूनी सिस्टम का दुरुपयोग करते हैं और सच्चे पीड़ितों की आवाज को कमजोर करते हैं।