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ग्वालियर-भिंड हाईवे: मौत का रास्ता या सरकार की बेरुखी?: पुखराज भटेले

भिंड: ग्वालियर-भिंड नेशनल हाईवे सिक्स लेन बनने से पहले ‘डेथ लेन’ बन चुका है। रोज़ाना हो रहे दर्दनाक हादसों में कई बेगुनाह अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन सरकार, प्रशासन और नेताओं की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है। आखिर भिंड की जनता को कब तक मौत के मुंह में धकेला जाएगा?

हादसों की सुनामी, लेकिन जिम्मेदार मौन!

2012 से अब तक इस हाईवे पर सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।
हर दिन कोई न कोई परिवार उजड़ रहा है, लेकिन सरकार के लिए ये सिर्फ आंकड़े भर हैं।
क्या VIP लोगों की सुरक्षा के लिए ही सड़कें बनाई जाती हैं? आम जनता की ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं?

फोटोशूट नहीं, सिक्स लेन चाहिए!

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और स्थानीय सांसद हाईवे निर्माण की घोषणाओं और फोटोशूट में व्यस्त हैं। जनता का सवाल साफ है—
सिर्फ घोषणाओं से सड़क कब बनेगी?
क्या हादसों पर राजनीति करना ही मकसद है?

भूपेंद्र कराना का दिल्ली मार्च – जनता का आक्रोश बढ़ा

समाजसेवी भूपेंद्र कराना ने ग्वालियर से दिल्ली तक पैदल मार्च शुरू किया है।
यह सिर्फ एक व्यक्ति का संघर्ष नहीं, बल्कि भिंड की पूरी जनता का आक्रोश है।
जब एक आम नागरिक सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल सकता है, तो क्या नेता सिर्फ भाषण देंगे?

संत समाज की चेतावनी – 30 मार्च के बाद बड़ा आंदोलन!

अगर 30 मार्च तक सिक्स लेन निर्माण पर ठोस फैसला नहीं लिया गया, तो संत समाज उग्र आंदोलन करेगा। अब यह सिर्फ एक सड़क का नहीं, बल्कि जनता के अस्तित्व का प्रश्न बन चुका है।

भिंड की जनता अब और लाशें नहीं देखेगी!

अब चेतावनी का समय है, अपील का नहीं!
अगर जल्द हाईवे निर्माण नहीं हुआ, तो भिंड की जनता का जनसैलाब सरकारों की कुर्सियां हिला देगा।
सरकार, प्रशासन और नेताओं को अब जवाब देना ही होगा!

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