
गोहद/भिंड । गोहद की मिट्टी हमेशा से आज़ाद रही है। यह भूमि चंबल की है, जहाँ स्वाभिमान जन्म लेता है और जब अन्याय होता है, तो चुप्पी भी तलवार बन जाती है। आज गोहद की जनता कह रही है, हमारी साँसें किसी सरकार या पार्टी की मोहताज नहीं। गोहद में बायपास परियोजना को रद्द कर एलीवेटेड रोड थोपने का निर्णय अब जनविरोध का मुद्दा बन गया है। लोगों का कहना है कि यह केवल सड़क का सवाल नहीं, बल्कि गोहद की अस्मिता, अधिकार और भविष्य का प्रश्न है।
जहाँ एक ओर सत्ताधारी इस निर्णय पर अडिग हैं, वहीं विपक्ष की चुप्पी जनता को बेचैन कर रही है।
शांत रहना भी अपराध है, जनता ने उठाई आवाज़
वक्तव्य में कहा गया कि जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध। जो सत्ता में चुप हैं, वे भी दोषी। जो विपक्ष में चुप हैं, वे भी दोषी।
जनता का आरोप है कि बायपास रोकने से गोहद की सड़कों पर धूल, ट्रैफिक जाम और प्रदूषण बढ़ेगा, जिससे जीवन और व्यापार दोनों प्रभावित होंगे।
इतिहास दोहराने को तैयार गोहद, 1993 की यादें फिर ताज़ा
वक्तव्य में 1993 का उदाहरण दिया गया, जब गोहद ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के अहंकार को एक साथ परास्त किया था और BSP प्रत्याशी चतुरीलाल वर्हदिया को जिता कर इतिहास रचा था। हम तो डूबेंगे सनम, पर तुझको भी ले डूबेंगे। आज वही जज़्बा फिर जाग उठा है, जनता कह रही है कि अब संगठन समाज हित के लिए है, समाज से बढ़कर नहीं।
जनता का संकल्प, हम खुद फैसला करना जानते हैं
वक्तव्य के अनुसार गोहद की जनता अब सत्याग्रह और कानूनी संघर्ष के रास्ते पर चलने को तैयार है। जो बायपास के लिए हमारे साथ नहीं, वह गोहद का नहीं। अब मामला सड़क का नहीं, सिर का सवाल है।
गोहद की जनता, व्यापारी वर्ग, युवा शक्ति और संत समाज एकजुट
इस जनघोषणा के साथ, व्यवस्था परिवर्तन अभियान के संस्थापक पुखराज भटेले,
राष्ट्रीय सनातन सेना के जिला महामंत्री, एवं
श्री परशुराम सर्व ब्राह्मण संघ के जिला उपाध्यक्ष के रूप में गोहद की जनता को शांतिपूर्ण, संगठित और वैधानिक संघर्ष के लिए एकजुट होने का आह्वान कर रहे हैं।





