दक्षिण 24 परगना में युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या: क्या पश्चिम बंगाल महिलाओं के लिए सुरक्षित है?

कोलकाता/दक्षिण 24 परगना। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के कैनिंग क्षेत्र में 16 जून की रात एक युवती के साथ गैंगरेप और फिर बेरहमी से हत्या की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर एक गहरी चिंता का विषय है।
घटना का संक्षिप्त विवरण:
स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़िता के साथ पहले सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उसकी नृशंस हत्या कर दी गई। आरोप है कि प्रशासन ने इस जघन्य अपराध को “सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मामला” बताते हुए मीडिया और पुलिस कार्रवाई पर नियंत्रण लगाने की कोशिश की — क्योंकि पीड़िता हिंदू और आरोपी मुस्लिम समुदाय से बताए जा रहे हैं।
संदेशखाली से लेकर आर.जी. कर तक, भयावह सन्नाटा
पश्चिम बंगाल में यह कोई पहली घटना नहीं है। संदेशखाली बलात्कार कांड की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि अब कैनिंग की यह घटना राज्य की कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोल रही है।
ममता बनर्जी सरकार पर गंभीर आरोप
राज्य सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह धार्मिक तुष्टिकरण के नाम पर पीड़िता को न्याय दिलाने में ढिलाई बरत रही है। आलोचकों का कहना है कि “धर्मनिरपेक्षता” की आड़ में यह राज्य प्रायोजित अन्याय बनता जा रहा है, जहां न्याय जाति और मजहब देखकर तय होता है।
WBPolice से माँग: तुरंत और निर्णायक कार्रवाई हो
इस घटना के सामने आने के बाद सामाजिक संगठनों और आम जनता की मांग है कि WBPolice तत्काल आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी करे। तेज़ और निष्पक्ष जांच हो। दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सज़ा दिलाई जाए। सरकार सांप्रदायिक दबाव में कार्रवाई से न हटे।
सवाल उठ रहे हैं…
क्या पश्चिम बंगाल में हिंदू लड़कियाँ असुरक्षित हैं?
क्या राजनीतिक तुष्टिकरण न्याय से ऊपर है?
क्यों सरकार और प्रशासन पीड़िता की पहचान दबाने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं, बजाय अपराध उजागर करने के?
निष्कर्ष: यह कोई साधारण आपराधिक घटना नहीं है — यह उस राज्य व्यवस्था की विफलता का आईना है, जो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर पीड़ित की आवाज़ दबा रही है। सच्चाई सामने आनी चाहिए, और दोषियों को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए — न्याय अब विलंब नहीं सह सकता।