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किसानों की आमदनी नहीं हुई दोगुनी, कृषि लागत बढ़ी चौगुनी

प्रदेश के सोयाबीन किसानों से सौतेला व्यवहार, भाजपा की किसान विरोधी सरकार
समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दीजिए, सोयाबीन का भाव 6 हजार रु. कीजिए

20 सितंबर को कांग्रेस निकालेगी हर जिले में ‘किसान न्याय यात्रा’

भोपाल: आज प्रदेश के किसान कह रहे हैं कि शिवराज-मोहन-मोदी सरकार किसानों की आमदनी पर वार कर रही है। किसानों से लूट और मोदी जी का दोगुनी आमदनी का झूठ अब सबके सामने है।

फरवरी 2016 में प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश की बरेली रैली में कहा था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी। लेकिन नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों की औसत आमदनी 27 रुपये प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज प्रति किसान 74 हजार रुपये हो गया है³।

शिवराज का झूठ और किसानों पर आघात

अप्रैल 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में रीवा के पंचायती राज सम्मेलन में घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश में किसानों की आमदनी दोगुनी हो गई है। लेकिन मार्च 2022 में केंद्रीय संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में किसानों की आमदनी 2015-16 की तुलना में घटकर 8339 रुपये प्रतिमाह प्रति परिवार रह गई है³।

सोयाबीन के दाम और समर्थन मूल्य

मध्यप्रदेश में सोयाबीन का भाव लगभग 4000 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है³। मोदी सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य तय करते वक्त इसका लागत मूल्य 3261 रुपये निर्धारित किया था, जबकि मध्यप्रदेश ने लागत और मूल्य आयोग को सूचित किया था कि उत्पादन लागत 4455 रुपये प्रति क्विंटल है³।

तेल का खेल और धन्नासेठों से मेल

प्रधानमंत्री ने 2015 में लाल किले से भाषण दिया था कि खाने का तेल विदेशों से मंगाना पड़ता है और आईल सीड्स का उत्पादन बढ़ाने की अपील की थी। लेकिन सच्चाई यह है कि सोयाबीन के खाने के तेल की इंपोर्ट ड्यूटी 17.5 प्रतिशत से घटाकर 13.75 प्रतिशत कर दी गई³। परिणामस्वरूप, सोयाबीन का तेल 2013-14 में 13.5 लाख टन विदेशों से मंगाया जाता था, जो 2022-23 तक बढ़कर 38.5 लाख टन हो गया है³।

इस प्रकार, किसानों की समस्याओं को उजागर करने के लिए कांग्रेस 20 सितंबर को हर जिले में ‘किसान न्याय यात्रा’ निकालेगी।



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