21 साल बाद बरी हुए रिश्वत के आरोपी डिप्टी कमिश्नर: हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला किया रद्द
इंदौर: मध्य प्रदेश के हाउसिंग बोर्ड के डिप्टी कमिश्नर सत्येंद्र कुमार जैन को 21 साल पुराने रिश्वत मामले में हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने ट्रायल कोर्ट के 2003 के फैसले को रद्द करते हुए आरोपी सत्येंद्र कुमार जैन को बरी कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
1999 में लोकायुक्त पुलिस ने सत्येंद्र कुमार जैन को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। यह रिश्वत एमपी स्टेट हाउसिंग कॉर्पोरेशन में किए गए निर्माण कार्यों के बिल के भुगतान के लिए मांगी गई थी। इस मामले में फरियादी प्रीतम सहगल ने लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि बिल भुगतान के बदले सत्येंद्र कुमार जैन रिश्वत की मांग कर रहे हैं।
शिकायत के बाद लोकायुक्त पुलिस ने सत्येंद्र कुमार जैन को 4 नवंबर 1999 को उनके ऑफिस में रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया और केस दर्ज कर लिया। 31 मार्च 2003 को ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में सत्येंद्र कुमार जैन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी करार दिया और तीन साल की सजा के साथ 20 हजार रुपये जुर्माना लगाया।
हाईकोर्ट ने क्यों किया बरी?
सत्येंद्र कुमार जैन ने 2003 में ही ट्रायल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में अपील दायर की थी। अपील पर सुनवाई के बाद जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए सत्येंद्र कुमार जैन को सभी आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में आरोपी को दोषी ठहराना न्यायोचित नहीं था।
21 साल की कानूनी लड़ाई का अंत
सत्येंद्र कुमार जैन को इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ते हुए 21 साल का लंबा समय बीत चुका था। ट्रायल कोर्ट का फैसला आने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन फैसला आने में इतने साल लग गए। अब हाईकोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया है, जिससे उनका परिवार और सहयोगी काफी राहत महसूस कर रहे हैं।
कानूनी प्रक्रिया पर सवाल
इस प्रकरण से एक बार फिर यह सवाल उठता है कि क्या न्यायिक प्रक्रिया में देरी से न्याय मिलने का कोई महत्व रहता है? सत्येंद्र कुमार जैन ने एक लम्बे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ी और आखिरकार हाईकोर्ट ने उन्हें निर्दोष करार दिया, लेकिन 21 साल तक चली यह लड़ाई उनके जीवन के महत्वपूर्ण समय को प्रभावित कर गई।
मध्य प्रदेश के हाउसिंग बोर्ड के डिप्टी कमिश्नर सत्येंद्र कुमार जैन को 21 साल पुराने रिश्वत मामले में राहत मिली। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 2003 के फैसले को रद्द करते हुए आरोपी को बरी कर दिया। जानें पूरा मामला।