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दिवंगत कर्मचारियों के आश्रित करेंगे ‘भीख मांगो आंदोलन’, अनुकंपा नियुक्ति के लिए सरकार से करेंगे अपील

भोपाल। मध्य प्रदेश के 56 शासकीय और अर्द्ध शासकीय विभागों में अनुकंपा नियुक्ति के हजारों प्रकरण वर्षों से लंबित हैं, लेकिन नौकरशाही की लापरवाही के चलते दिवंगत कर्मचारियों के आश्रित इस अधिकार से वंचित हैं। अनुकंपा नियुक्ति के लिए दिवंगत कर्मचारियों के परिवारजन विभागीय कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन वर्षों बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है।

इस गंभीर स्थिति से तंग आकर अब दिवंगत कर्मचारियों के आश्रितों ने ‘भीख मांगो आंदोलन’ का सहारा लेने का निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के नेतृत्व में ये लोग मंत्रालय वल्लभ भवन के सामने कटोरा लेकर भीख मांगते हुए सरकार से अनुकंपा नियुक्ति की मांग करेंगे।

मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि राज्य सरकार का स्पष्ट आदेश है कि कर्मचारियों की मृत्यु के बाद उनके आश्रितों को एक सप्ताह के भीतर अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। लेकिन, अधिकारियों द्वारा जानबूझकर प्रकरणों में देरी की जा रही है। वे विभिन्न बहानों से, जैसे जानकारी की कमी या रिक्त पदों की कमी बताकर, अनुकंपा नियुक्ति को टाल रहे हैं। जबकि राज्य सरकार दो बार अनुकंपा नियुक्ति के नियमों का सरलीकरण कर चुकी है।

वर्तमान में सबसे अधिक लंबित प्रकरण शिक्षा विभाग, जनजातीय कार्य विभाग, लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, पीएचई विभाग, उद्योग विभाग और उद्यानिकी विभाग में हैं। अब, इन विभागों के दिवंगत कर्मचारियों के आश्रितों ने आंदोलन के जरिए अपने अधिकार को हासिल करने का संकल्प लिया है।

मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच की बैठक में इस निर्णय पर सहमति बनी, जिसमें प्रमुख रूप से अशोक पांडे, सुनील पाठक, श्याम बिहारी सिंह, शिव प्रसाद संगुले, श्यामलाल विश्वकर्मा, चांद सिंह, राजेंद्र शर्मा, दिनेश मालवीय, लव प्रकाश पाराशर, हरि सिंह गुर्जर, नन्नू लाल मालवीय, थावरिया भील, मदन मेहरा, बद्री गौर आदि पदाधिकारी एवं सदस्य शामिल थे।

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