मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने की धमकी देकर डिजिटल अरेस्ट में रखा
भोपाल: राजधानी भोपाल में साइबर ठगों ने एक वृद्ध डॉक्टर दंपती को 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखते हुए साढ़े 10 लाख रुपये की ठगी कर ली। आरोपियों ने खुद को केंद्रीय जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसाने की धमकी दी। इस दौरान असली पुलिस के पहुंचने पर भी ठगों ने उन्हें फटकार लगाई और खुद को केंद्रीय एजेंसी का अधिकारी बताते हुए हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी।
कैसे हुआ साइबर फ्रॉड का पूरा मामला
65 वर्षीय रागिनी मिश्रा और उनके पति महेशचंद्र मिश्रा (67) रिगल पैराडाइज के फ्लैट नंबर 708 में रहते हैं। बुधवार सुबह रागिनी मिश्रा को एक अज्ञात कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए आरोप लगाया कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल अवैध लेन-देन के लिए हो रहा है। ठगों ने दावा किया कि उनके खाते में 427 करोड़ रुपये आए हैं, जिससे वह मनी लॉन्ड्रिंग में फंसी हैं।
फर्जी पहचान और वीडियो कॉल से बनाया दबाव
आरोपियों ने वीडियो कॉल पर पुलिस वर्दी और सीबीआई के बैनर दिखाते हुए रागिनी को भरोसा दिलाया। उन्होंने महिला को “भली औरत” बताते हुए जांच में सहयोग करने और गिरफ्तारी से बचाने का झांसा दिया। इसके बाद महिला को तुरंत घर लौटकर एक कमरे में रहने और ठगों की निगरानी में रहने का आदेश दिया गया।
48 घंटे तक हाउस अरेस्ट में रखा
घर पहुंचने के बाद ठगों ने कमरे में 360 डिग्री कैमरे की निगरानी शुरू की और डॉक्टर दंपती को कमरे से बाहर न निकलने का निर्देश दिया। ठग लगातार कैमरे के जरिये उनकी गतिविधियों पर नजर रखते रहे और किसी भी बाहरी कॉल का जवाब न देने की चेतावनी दी। डर के कारण दंपती बुधवार सुबह से शुक्रवार दोपहर तक कमरे में ही बंद रहे।
सुरक्षा शुल्क के नाम पर मांगे साढ़े 10 लाख रुपये
गुरुवार को ठगों ने महिला डॉक्टर को बैंक जाकर 10.5 लाख रुपये सुरक्षा शुल्क के नाम पर ट्रांसफर करने का निर्देश दिया। ठगों ने गिरफ्तारी से बचाने का झांसा देकर महिला को बाहर जाने की अनुमति दी, लेकिन उनकी हर हरकत पर नजर रखी।
संदेह होने पर पति ने पुलिस से संपर्क किया
शुक्रवार सुबह, ठगों की हरकतों पर शक होने पर रागिनी ने आरोपियों को बातचीत में उलझाया। इस बीच, उनके पति ने वॉशरूम से पुलिस कमिश्नर को कॉल कर मदद मांगी। इसके बाद एसीपी दीपक नायक के नेतृत्व में पुलिस टीम ने दंपती को रेस्क्यू किया।
असली पुलिस पर भी ठगों का अड़ियल रवैया
असली पुलिस के पहुंचने पर भी ठगों ने कॉल डिस्कनेक्ट नहीं किया और पुलिस को केंद्रीय एजेंसी के काम में हस्तक्षेप न करने की धमकी दी। इसके बाद कॉल काटकर मोबाइल नंबर बंद कर दिया गया।
पुलिस जांच जारी
मामले में एफआईआर दर्ज कर ठगों के आईपी एड्रेस को ट्रेस किया जा रहा है। जिन खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए, उन्हें फ्रीज कराने की प्रक्रिया चल रही है।