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वन प्रबंधन की दिशा में राज्य सरकार का बड़ा फैसला, गोपनीय चरित्रावली के लिए नई व्यवस्था

भोपाल । प्रदेश सरकार ने आईएफएस अधिकारियों की एसीआर यानि वार्षिक गोपनीय चरित्रावली के लिए एक नई व्यवस्था लागू करने के आदेश जारी किये है। इसका उद्देश्य वन प्रबंधन में शामिल विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों के बीच पारदर्शिता, दक्षता और सहयोग को बढ़ाना है। नई व्यवस्था में डीएफओ की एसीआर पर कलेक्टर के कमेंट को शामिल किया गया है। जिला स्तर पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, वन प्रबंधन, भूमि अधिग्रहण और माइनिंग उद्योगों में वन और प्रशासन दोनों विभागों में समन्वय जरुरी है। वर्तमान व्यवस्था में भी वन प्रबंधन और इससे जुड़े मामलों में जिला कलेक्टर का रोल महत्वपूर्ण होता है और कलेक्टर के अभिमत पर ही प्रस्ताव पास किए जाते हैं। पहले, डीएफओ के लिए एसीआर प्रक्रिया में जिला कलेक्टरों की टिप्पणी नहीं होती थी। जिससे कभी-कभी प्रशासन और विभाग के बीच समन्वय में कमी देखी गई थी। इसी तरह, वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियों की एसीआर अब विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जाएगी। समीक्षा की यह नई प्रक्रिया शासन और विभागीय दोनों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए अधिकारी के प्रदर्शन का उचित मूल्यांकन करेगी। हालांकि आईएफएस अधिकारी की एसीआर लिखने की मुख्य जिम्मेदारी अभी भी आईएफएस अधिकारियों के पास ही रहेगी। कलेक्टर और विभागीय वरिष्ठ अधिकारीयों के कमेंट जिला और राज्य स्तरीय कार्यो में अधिकारी के प्रदर्शन के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। सरकार का मानना है कि वन प्रबंधन से जुड़े मसलों में शासन के सभी विभागों के बीच में समन्वय बनाने, पारदर्शिता और बेहतर परिणाम लाने के लिए नई व्यवस्था काफी मुफीद साबित होगी।

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