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भोपाल: किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती में गोबर और गौ-मूत्र से बनाई जाने वाली खाद का उपयोग करते हुए बढ़ी उत्पादकता

भोपाल: मध्यप्रदेश के किसान सदियों से गोबर से खाद बनाते आ रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर दिये जाने वाले सुझाव ने इस प्रकार की खेती को और भी प्रोत्साहित किया है। अब कई किसानों ने गौ-मूत्र, गोबर, पत्तों से बनाई गई खाद का उपयोग कर अपने खेतों में किया गया है। इस प्रकार की प्राकृतिक खेती ने किसानों को उनकी फसलों की उत्पादकता में सुधार करने में मदद की है और प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ खेती की लागत भी कम की है।

महत्वपूर्ण बिंदुएं:
– किसान गोबर, गौ-मूत्र, मिट्टी, पत्ते, और वनस्पति से बनाए गए जीवामृत का उपयोग कर रहे हैं, जो कि उनके फसलों के लिए गुणकारी है।
– इस प्रकार की खेती में उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है और खर्च भी कम आता है।
– मध्यप्रदेश में प्राकृतिक उत्पाद की मांग में वृद्धि हुई है, जो कि किसानों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है।

नवाचार:
– प्राकृतिक खेती विशेष रूप से पर्यावरण के लिए भी उपयुक्त है, क्योंकि इसमें विद्रोही जीवाणुओं का उपयोग कम होता है।
– इस तरह की खेती से किसान अपनी फसलों की उत्पादकता में सुधार कर अपनी आय को भी बढ़ा सकते हैं।

इस तरह की प्राकृतिक खेती ने मध्यप्रदेश के कृषि क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है और किसानों को एक नए स्तर पर ले जाने में सहायक साबित हो रही है।

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