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भिंड: गोहद मौ तहसीलदार माला शर्मा विवादों में, एक दिन में किया 7 नामांतरण – राजीव कुशवाहा ने लगाए गंभीर आरोप

भिंड: गोहद मौ तहसीलदार माला शर्मा एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं। हाल ही में उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप सामने आए हैं, जिनके कारण वे सुर्खियों में हैं। प्रेस वार्ता के दौरान भाजपा नेता राजीव कुशवाहा ने तहसीलदार माला शर्मा पर नियमों के खिलाफ काम करने और अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए।

राजीव कुशवाहा के अनुसार, माला शर्मा ने एक दिन में ही 7 नामांतरण किए, जबकि नामांतरण की प्रक्रिया में आमतौर पर अधिक समय लगता है। इसके अलावा, 6 तारीख को फाइल दर्ज की गई, और अगले ही दिन बिना किसी जांच-पड़ताल के नामांतरण आदेश जारी कर दिए गए, जो नियमों के खिलाफ है। कुशवाहा ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और कहा कि इस तरह के कार्यों से प्रशासन की छवि खराब हो रही है।

क्या है विवाद?
तहसीलदार माला शर्मा पर पहले भी कई आरोप लग चुके हैं। आरोप है कि वे जमीन से जुड़े मामलों में पक्षपात कर रही हैं और अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गलत आदेश जारी कर रही हैं। हालिया मामले में, बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए, भूमि नामांतरण के आदेश दिए गए, जिससे स्थानीय लोग और किसान नाराज हैं।

प्रेस वार्ता में क्या कहा राजीव कुशवाहा ने?
प्रेस वार्ता में भाजपा नेता राजीव कुशवाहा ने कहा, “तहसीलदार माला शर्मा के कार्यकाल में गोहद मौ तहसील में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का बोलबाला है। एक दिन में 7 नामांतरण करना यह दर्शाता है कि प्रशासनिक नियमों की अनदेखी की जा रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे विवादित आदेशों की उच्चस्तरीय जांच कर तहसीलदार पर कार्रवाई होनी चाहिए।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया:
स्थानीय लोगों में भी इस मामले को लेकर भारी आक्रोश है। कई किसान और ग्रामीण तहसीलदार के इन फैसलों से असंतुष्ट हैं और उन्होंने प्रशासन से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

क्या हो सकती है आगे की कार्रवाई?
तहसीलदार माला शर्मा पर लगाए गए इन आरोपों के बाद जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की जा सकती है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो तहसीलदार पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

निष्कर्ष:
गोहद मौ तहसीलदार माला शर्मा का नाम विवादों में लगातार सामने आना प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और तहसील में पारदर्शिता लाने के लिए क्या प्रयास किए जाते हैं।

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