
एम्स भोपाल को कैंसर देखभाल में डिजिटल हेल्थ नवाचार के लिए 20 लाख रुपये का अनुसंधान अनुदान मिला
यह अनुदान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार के राष्ट्रीय मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स के तहत प्रदान किया गया
परियोजना का उद्देश्य कैंसर रोगियों के उपचार के बाद की जीवन गुणवत्ता को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेहतर बनाना है
आईआईटी इंदौर के नवाचार केंद्र के सहयोग से शोध कार्य किया जाएगा
भोपाल । एम्स भोपाल ने डिजिटल हेल्थकेयर और कैंसर देखभाल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (DST) ने एम्स भोपाल को डिजिटल ऑन्कोलॉजी में अनुसंधान के लिए 20 लाख रुपये का अनुसंधान अनुदान प्रदान किया है। यह अनुदान राष्ट्रीय मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स के अंतर्गत दिया गया है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल तकनीक को सशक्त बनाना और मरीजों की देखभाल में सुधार लाना है।
डिजिटल कैंसर देखभाल पर केंद्रित यह परियोजना क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत में कैंसर एक तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। एम्स भोपाल के कैंसर ट्रीटमेंट सेंटर (CTC) में हर साल 6000 से अधिक नए कैंसर मरीजों की पहचान की जाती है। इनमें से 40-50% मरीज सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित होते हैं, जबकि स्तन और स्त्री रोग संबंधी कैंसर के मामले भी अधिक संख्या में सामने आते हैं।
कैंसर का उपचार केवल रोग को ठीक करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके बाद मरीजों की जीवन गुणवत्ता (Quality of Life – QoL) में सुधार लाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यह शोध परियोजना कैंसर रोगियों की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक भलाई को बढ़ाने के लिए एक डिजिटल इंटरफेस विकसित करने पर केंद्रित होगी।
इस परियोजना का नेतृत्व एम्स भोपाल के विकिरण ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. सैकत दास (प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर) और प्रो. अमित अग्रवाल (सह-प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर) करेंगे। यह शोध कार्य आईआईटी इंदौर के नवाचार और इनक्यूबेशन केंद्र (IITI दृष्टि CPS फाउंडेशन) के सहयोग से किया जाएगा।
डिजिटल इंडिया पहल के तहत हेल्थकेयर में बड़ा कदम
यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया आंदोलन के उद्देश्यों के अनुरूप है, जो भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने की दिशा में काम कर रही है। एम्स भोपाल, अपने कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में, डिजिटल हेल्थकेयर में कई नवीन पहल कर रहा है।
शोध परियोजना की विशेषताएँ:
कैंसर रोगियों के लिए डिजिटल जीवन गुणवत्ता मूल्यांकन उपकरण विकसित करना
मरीजों की भलाई को ट्रैक करने और व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ तैयार करने के लिए डेटा-ड्रिवन समाधान प्रदान करना
स्वास्थ्य सेवाओं तक डिजिटल पहुंच को बढ़ावा देना और कैंसर देखभाल को अधिक प्रभावी बनाना
कैंसर रोगियों के लिए क्यों जरूरी है यह डिजिटल समाधान?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कैंसर उपचार के दौरान और बाद में रोगी के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं, जिनमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक संबंध और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं।
प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस परियोजना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा:
“भारत में कैंसर मामलों की मृत्यु-दर अनुपात पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक है। भारतीय कैंसर रोगियों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ भिन्न हैं, जिसके लिए एक स्वदेशी जीवन गुणवत्ता मूल्यांकन उपकरण की आवश्यकता है। यह परियोजना डिजिटल समाधानों को एकीकृत करने और भारत में कैंसर रोगियों के कल्याण में सुधार लाने में एक मील का पत्थर साबित होगी।”
डिजिटल हेल्थकेयर में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम
वर्तमान में, जीवन गुणवत्ता मापने के लिए कई उपकरण मौजूद हैं, लेकिन भारतीय संदर्भ में एक विशेष रूप से अनुकूलित डिजिटल समाधान की तत्काल आवश्यकता है।
यह परियोजना भारतीय कैंसर रोगियों के लिए अधिक व्यक्तिगत और प्रभावी उपचार दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करेगी।
एम्स भोपाल, डिजिटल हेल्थ नवाचार में अग्रणी भूमिका निभाते हुए, भारत में रोगी देखभाल के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए लगातार अनुसंधान कर रहा है।
इस पहल से डिजिटल हेल्थकेयर में आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा।
एम्स भोपाल की पहल पर सरकार की सराहना
यह प्रतिष्ठित अनुदान नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया, जिसमें भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह, इंदौर के सांसद श्री शंकर लालवानी, DST सचिव प्रो. अभय करंदीकर, और आईआईटी इंदौर के निदेशक डॉ. सुहास एस. जोशी उपस्थित रहे।
निष्कर्ष
एम्स भोपाल का यह डिजिटल ऑन्कोलॉजी शोध भारत में कैंसर रोगियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है।
डिजिटल तकनीक के माध्यम से मरीजों की जीवन गुणवत्ता में सुधार के लिए किया गया यह प्रयास एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
डिजिटल हेल्थकेयर और कैंसर रिसर्च में यह कदम भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत करेगा।