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एम्स भोपाल: कृत्रिम अंगों से मरीजों को मिलेगा नया जीवन

भोपाल। अंगहीन व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एम्स भोपाल के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) विभाग ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस पहल के तहत, शरीर के निचले हिस्से के लिए कृत्रिम अंगों का निर्माण किया गया है। 3 जुलाई 2024 को एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने इन कृत्रिम अंगों का पहला बैच जरूरतमंद मरीजों को वितरित किया।

प्रोफेसर अजय सिंह ने विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा, “अगर मेरे प्रयासों से उनके जीवन में थोड़ा भी बदलाव आ सकता है, तो यह एक बड़ी उपलब्धि है। हमारा प्रयास है कि ऐसे व्यक्तियों को सशक्त बनाकर समाज में उन्हें समुचित स्थान दिलाया जा सके।” उन्होंने बताया कि दुर्घटना, डायबिटीज, और पेरिफेरल वेस्कुलर बीमारी के कारण लोग अपने अंग गंवा देते हैं। ऐसे मामलों में 85% मामलों में शरीर के निचले हिस्से को काट कर निकालना पड़ता है।

सुलभ और किफायती कृत्रिम अंग

प्रोफेसर सिंह ने एम्स भोपाल द्वारा प्रदान किए गए कृत्रिम अंगों की लागत के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बाजार में ऐसे कृत्रिम अंगों की कीमत 15,000 से 20,000 रुपये तक होती है, जबकि एम्स भोपाल इन्हें 1,000 रुपये से भी कम में उपलब्ध कराता है। यह पहल समाज के सभी वर्गों के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरणों को सुलभ बनाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

महत्वपूर्ण सेवा का विस्तार

एम्स भोपाल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विट्ठल प्रकाश पुरी ने कहा, “इस सुविधा के साथ, हम यहां इलाज करा रहे मरीजों को सशक्त बनाने की कोशिश कर रहे हैं।” इसी के साथ, एम्स भोपाल मध्य भारत में यह महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करने वाला एकमात्र सरकारी संस्थान बन गया है।

कार्यक्रम में भागीदारी

इस कार्यक्रम में संकाय सदस्यों, रेजीडेंट्स, छात्रों और मरीजों के परिवारिक सदस्यों ने भी भाग लिया। यह मील का पत्थर अंगहीन व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और चिकित्सा उत्कृष्टता और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए एम्स भोपाल की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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