आचार्य विनम्र सागरजी के 62वें अवतरण दिवस पर दिखी भारत की अनेकता में एकता की झलक
भोपाल: शहर के जैन मंदिरों में चातुर्मास के दौरान आध्यात्मिकता और धर्म की गंगा बह रही है। इसी क्रम में भोपाल के नंदीश्वर जिनालय में आचार्य विनम्र सागर महाराज का 62वां अवतरण दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर अष्ट द्रव्य से आचार्यश्री की वंदना की गई और भक्तों ने विविध कार्यक्रमों के माध्यम से अपने श्रद्धा भाव प्रकट किए।
भारत की विविधता का संगम
आयोजन के दौरान महिला मंडल, युवा मंडल, बालिका मंडल और पाठशाला परिवार के सदस्यों ने भारत के विभिन्न राज्यों की पारंपरिक वेशभूषा और संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए आचार्यश्री की वंदना की। हर राज्य की वेशभूषा में सजी श्रद्धालुओं की टोली ने भक्ति गीतों और नृत्य के माध्यम से भारत की “अनेकता में एकता” की सजीव झलक प्रस्तुत की।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न शहरों से आए श्रद्धालुओं ने करतल ध्वनि से आचार्यश्री के संघ और संयम पद की अनुमोदना की। इस दौरान श्रद्धालुओं ने स्वयं के कल्याण और मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए छोटे-छोटे संकल्प भी लिए, जिससे पूरे वातावरण में उत्साह और धर्मभाव की अनुभूति हुई।
संयम का महत्त्व
आचार्य विनम्र सागरजी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा, “स्वयं में स्वयं की लीनता ही मोक्ष है। संयम भारत की भूमि की सबसे बड़ी संपदा है और इसका पद प्राप्त करना बड़े पुण्य का कार्य है।” उन्होंने सभी को संयम और साधना के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रेरणादायक संदेश दिया।
कार्यक्रम में दिखा अनुशासन
कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मचारिणी शुभि दीदी, प्राची दीदी और कुशल भैया के निर्देशन में हुआ। आयोजन में शामिल हर व्यक्ति ने अनुशासन और समर्पण के साथ आचार्यश्री की वंदना की। इस अवसर पर विशेष रूप से अध्यक्ष एडवोकेट विजय चौधरी, प्रमोद चौधरी, एडवोकेट पंकज जैन, डॉ. सर्वज्ञ, राजीव गेहूँ, विवेक चौधरी, मनोज बबलू, निर्मल मुनीम, राकेश सलामतपुर, इंजीनियर सौरभ जैन, एम.एल. जैन, मनोज जैन मधुर, शीलचंद लचकिया, सुनील पब्लिसर्स, अजय ज्योतिष, राकेश मावा, संतोष जैन, टीटू लचकिया, जीतू सिलवानी, पंकज जैन, आलोक जैन सहित सैकड़ों धर्मावलंबी उपस्थित रहे।
भक्ति में दिखा उत्साह
श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर आचार्यश्री के प्रवचनों और उनके मार्गदर्शन को ध्यान से सुना और उन्हें जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। मंदिर परिसर में भक्तों की उमड़ी भीड़ और उनकी भक्ति के भाव ने पूरे आयोजन को सफल और आध्यात्मिक बना दिया।
आचार्य विनम्र सागरजी महाराज के इस 62वें अवतरण दिवस ने भारत की संस्कृति, विविधता और संयम के महत्त्व को और भी गहराई से उजागर किया, जिससे हर श्रद्धालु के मन में धर्म और भक्ति की नई ऊर्जा का संचार हुआ।