
नई दिल्ली । पेरिस ओलंपिक खेलों में इस बार भारत की ओर से पुरुष वर्ग में अमन सहरावत ही प्रवेश हासिल कर पाये हैं। वहीं महिला वर्ग में विनेश फोगाट सहित पांच खिलाड़ियों ने प्रवेश हासिल किया है। ऐसे में इन पहलवानों पर पदक जीतने का दबाव रहेगा। इसका कारण ये है कि भारतीय पहलवानों का प्रदर्शन ओलंपिक खेलों में हमेशा अच्छा रहा है। ऐसे में इस बार भी पहलवानों पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव रहेगा।
अमन सहरावत (पुरुष फ़्रीस्टाइल 50 किग्रा) : अमन ने 57 किग्रा भार वर्ग में रवि दहिया की जगह ओलंपिक टिकट हासिल किया है। उनका दमखम और धैर्य बनाए रखना मजबूर पक्ष है। अगर मुकाबला 6 मिनट तक चलता है तो उन्हें हराना आसान नहीं होगा। उनके खेल में रणनीति की कमी है और उनके पास दूसरी योजना भी नहीं रहती है। ऐसे में उनके लिए पेरिस में विरोधी मुश्किलें पैदा कर सकते हैं।
विनेश फोगाट (महिला 50 किग्रा) : विनेश फोगाट भारत की सबसे अनुभवी महिला पहलवानों में से एक हैं। मजबूत रक्षण और उतना ही प्रभावशाली आक्रमण उनकी ताकत है पर पिछले एक साल में उन्हें शीर्ष खिलाड़ियों के खिलाफ खेलने का अवसर मौका मिला है। इसके अलावा वह कम वजन वर्ग में भाग ले रही है। इसके लिए उन्हें अपना वजन कम करना होगा।
अंतिम पंघाल (महिला 53 किग्रा) : अंतिम पंघाल पेरिस ओलंपिक कोटा हासिल करने वाली पहली पहलवान रही हैं। अंतिम का मजबूत पक्ष उनका लचीलापन है जिससे वह विरोधी की पकड़ से जल्दी बाहर निकल जाती है। उन्होंने हालांकि एशियाई खेलों में भाग नहीं लिया और पीठ की चोट के कारण उन्हें इस साल एशियाई चैम्पियनशिप से बाहर होना पड़ा। ऐसे पिछले कुछ समय में कम प्रतियोगिताओं में भाग लेने से अभ्यास की कमी उनके लिए नुकसानदेह हो सकती है
रीतिका हुड्डा (महिला 76 किग्रा) : रीतिका अपनी ताकत के बल पर मजबूत खिलाड़ियों को भी हैरान कर देती हैं। इससे अनुभवी पहलवानों के लिए भी उन्हें हराना कठिन रहा है। रीतिका के पास ताकत और तकनीक है पर वह मुकाबले के आखिरी 30 सेकंड में अंक खो देती हैं। अगर वह बढ़त भी बना लेती है, तो भी वह उन अंकों को खो सकती है।
अंशु मलिक (महिला 57 किग्रा) : जूनियर स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने के बाद सीनियर स्तर में जगह बनाने वाली अंशु पदक के दावेदारों में शामिल है। मैट पर तेज़ी से मूवमेंट करना और आक्रामक खेल शैली अंशु की सबसे बड़ी ताकत है। हालांकि उनकी फिटनेस कमजोर कड़ी है। वह कंधे की चोट से परेशान रही हैं। उनका दावा है कि यह सिर्फ गर्दन की ऐंठन है, लेकिन उसका परीक्षण नहीं किया गया है।
निशा दहिया (महिला 68 किग्रा) : निशा ने शुरू में काफी उम्मीद जगाई लेकिन चोटिल होने के कारण उनकी प्रगति पर प्रभाव पड़ा। वह अपनी आक्रामक शैली से मजबूत प्रतिद्वंदी को भी हैरान कर देती है। वह निडर होकर खेलती है जो उनका मजबूत पक्ष है। उन्हें हालांकि बड़ी प्रतियोगिताओं में खेलने का कम अनुभव है जो उनकी कमजोरी है। इसके अलावा मुकाबला लंबा चलने पर वह शिथिल पड़ जाती है।