थोर्प मामले के बाद एक बार फिर खेल में मानसिक सेहत और अवसाद का मामला उठा
लंदन । इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर ग्राहम थोर्प की आत्महत्या के बाद एक बार फिर खेल में अवसाद का मामला उठा है। कई क्रिकेटरों ने समय समय पर खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ का मुद्दा उठाया है पर इस मामले पर खुलकर बहस नहीं हो पायी है। इंग्लैंड के जोनाथन ट्रॉट तो अपने करियर के शीर्ष के समय मानसिक सेहत खराब होने के कारण क्रिकेट से ही दूर हो गए थे। ऑस्ट्रेलिया के स्टार ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल सहित कई क्रिकेटरों ने खराब मानसिक स्वास्थ का हवाला देकर ब्रेक भी लिया था।
ऐसे में कहा जा रहा है कि इस मामले पर गंभीरता से बहस होनी चाहिये क्योंकि खिलाड़ी भी खराब दौर से गुजरने के दौरान अवसाद में आ जाते हैं।
इंग्लैंड के टेस्ट कैप्टन बेन स्टोक ने भी मानसिक स्वास्थ ठीक नहीं होने के कारण ही छह महीने का ब्रेक भी लिया था। स्टोक्स ने बताया था कि उन्हें पैनिक अटैक भी आते रहे हैं। स्टोक्स अब भी अवसाद की दवाइयां लेते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के ऑलराउंडर मैक्सवेल ने जब 2019 में क्रिकेट से ब्रेक लिया था तब कोच रहे जस्टिन लेंगर ने उनकी उनका मनोबल बढ़ाया था। इसी कारण मैक्सवेल ने लौटने के बाद बिग बैश लीग में अच्छा प्रदर्शन किया था। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने भी साल 2014 में अपने खराब दौर में कहा था, ‘मैं तब मानसिक तौर पर स्वस्थ महसूस नहीं कर रहे था। मैं उन दिनों क्रिकेट से दूर जाना चाह रहा था।’ हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं यहां तक कि महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी एंग्जायटी से नहीं बच पाये हैं। सचिन ने एक बार कहा था कि 10 से 12 साल तक ऐसा वक्त रहा जब मैच से पहले वाली रात में उन्हें नींद नहीं आती थी। बाद में उन्होंने इसे अपनी तैयारी का हिस्सा मान लिया था। इसके बाद ध्यान बंटाने के लिए वह अपने को दूसरी चीजों में व्यस्त करते थे।