Madhya Pradesh

शिवराज के शब्दों ने मुख्यमंत्री के साथ ही बीजेपी की गरिमा को गिराया

जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। राष्ट्र कवि दिनकर की ये चेतावनी देती सत्य पंक्तियों के बावजूद चुनाव आने के साथ ही ये नेता विवेक खोने लगते हैं । वाणी से ही विवेक अविवेकी की पहचान हो जाती है इसलिए ही बाबा कबीर बोले थे कि ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए, औरन को शीतल करे आप भी शीतल होय। परन्तु मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक वायरल विडियो में जहां उनकी वाणी इसके बिलकुल विपरीत है वहीं शब्द भी एक विशाल प्रदेश के मुख्यमंत्री की गरिमा के खिलाफ ही है। जी हां बात कर रहे हैं उसी विडियो की जिसमें शिवराज सिंह चौहान पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को उनके सवाल का जवाब दें रहे हैं। कमलनाथ ने मध्यप्रदेश के विकास और सड़कों तथा स्वास्थ्य सेवाओं पर मुख्यमंत्री से पूछा था। जिसका जवाब शिवराज सिंह ने इन शब्दों में दिया कि…… आजकल कमलनाथ मुझसे सवाल पूछ रहे हैं….. अठारह सालों का हिसाब दो….ऐ कमलनाथ, जब तेरी पार्टी की सरकार थी तो गड्डो में सड़क है कि सड़क में गड्ढा है, कि गड्डमगड्डा है….गड्डो में सड़क ढूंढनी पड़ती थी…. फिर उपस्थित जनसमूह से हामी भरवाने के बाद कहा कि… सड़कों का अता पता नहीं था दादा मुझसे बात कर रहा है……
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मनासा में दिए भाषण का यह विडियो क्लिप सोशल साइट्स पर वायरल हो रहा है और मुख्यमंत्री के द्वारा उपयोग किए गए शब्दों कि… ऐ कमलनाथ, और मुझसे बात कर रहा है… को आम यूजर के साथ विपक्षी दलों वाले ही नहीं बल्कि खुद बीजेपी वाले भी स्तरहीन बताते कह रहे हैं कि एक प्रदेश के मुखिया को इस तरह के शब्दों कार्रवाई उपयोग नहीं करना चाहिए भले ही वे विपक्ष के किसी नेता को संबोधित करते हुए कुछ कह रहे हों। कुछ तो कमेंट और काउंटर कमेंट में कह रहे हैं कि पहले इन्दौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन की अव्यवस्थाओं को लेकर इन्दौर का नाम डुबाया, अब ऐसे बोलते हुए प्रदेश और पार्टी की छबि खराब कर रहे हैं पता नहीं मामा को क्या हो गया है, क्या इसी को विनाशकाले विपरीत बुद्धि कहते हैं?
शिवराज सिंह चौहान द्वारा कमलनाथ को इंगित करते हुए उपयोग किए गए शब्दों पर ही सभी सवालिया निशान नहीं लगा रहे बल्कि उनकी मंच पर भांवभगिना के साथ बोलने के लहजे को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। मंच पर जिस तरह से रैम्प वाक करते… मतलब मंच पर इधर उधर घूमकर शिवराज सिंह चौहान अपना भाषण देते कमलनाथ के लिए उपयोग किए गए शब्दों को बोल रहे उनके इस बोलने के अंदाज पर लोगों का कमेंट यही कि एक वर्तमान मुख्यमंत्री का एक पूर्व मुख्यमंत्री से इस अंदाज में कहना शर्मसार करने वाला है। दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी होने की गौरवशाली उपलब्धि हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी की न ऐसी परम्परा रही है ना ही उसके किसी नेता कि ऐसी सोच। सही मायने में तो भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं द्वारा अतीत में दिए गए भाषणों चाहे वे विपक्ष या किसी विपक्षी नेता को संबोधित करते दिए गये हो कि क्लिपिंग, विश्व भर में बड़े सम्मान के साथ कई लोगों ने सुरक्षित संभाल कर रख रखी है, इनमें कई विपक्षी भी है, वे भारतीय जनता पार्टी के उन पूर्व नेताओं के भाषणों को बहुत महत्व देते उनका सम्मान करते हैं, उनके शब्दों में जो गरिमा के साथ कहने का अनूठा अंदाज होता था उसके कारण ही पार्टी के साथ साथ अन्य नेताओं को भी सम्मान मिलता था। परन्तु शिवराज सिंह चौहान द्वारा कमलनाथ के लिए उपयोग किए गए शब्दों कि, ऐ कमलनाथ.. तथा.. मुझसे बात कर रहा है.. ने जहां स्वयं शिवराज सिंह चौहान के सम्मान को तो कम किया ही है वहीं पार्टी के साथ साथ प्रदेश की गरिमा को भी ठेस लगी हैं। वैसे भी हकीकत तो ये है कि शिवराज सिंह चौहान की इस रैम्प वाक भाषण शैली को आम आदमी सहित आलाकमान भी पसंद नहीं कर रहा है चाहे उनके इंवेंट मैनेजर्स उन्हें सही साबित करने का प्रयास करते रहे उपर से अब इस तरह के शब्दों का चयन, पार्टी के प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव प्रभारियों को सोचने पर विवश कर ही देगा। वे इस पर कुछ प्रतिक्रिया देंगे या नहीं यह तो उन पर परन्तु वायरल विडियो पर एक यूजर की सटीक प्रतिक्रिया है- विनाश काले विपरीत बुद्धि।

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