
भोपाल: मध्यप्रदेश में परिवहन विभाग से जुड़े कथित भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री मोहन यादव पर सीधा निशाना साधा है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुश्री संगीता शर्मा ने ट्वीट कर सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए मांग की है कि पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत की अवैध संपत्ति की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
भ्रष्टाचार के आरोप और सरकार की भूमिका
सुश्री शर्मा ने अपने ट्वीट में कहा कि लोकायुक्त की निष्क्रियता कोई संयोग नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार को छिपाने की साजिश है, जिसमें भाजपा के कई बड़े नेता शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार को दबाने का काम कर रही हैं।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा:
> “यह मध्यप्रदेश सरकार की जांच एजेंसियों की लापरवाही नहीं, बल्कि करोड़ों रुपए के संगठित भ्रष्टाचार में संलिप्त भाजपा नेताओं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत को बचाने का सुनियोजित प्रयास है।”
मुख्यमंत्री से सीधा सवाल
सुश्री शर्मा ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से सीधा सवाल पूछा:
क्या आपने लोकायुक्त की निष्क्रियता की समीक्षा की?
आप किसे बचा रहे हैं—भूपेंद्र सिंह, जिनके कार्यकाल में इस भ्रष्टाचार की नींव रखी गई, या गोविंद सिंह राजपूत, जिनके कार्यकाल में लूट खुलकर हुई?
क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर ही गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन विभाग सौंपा गया था?
जीरो टॉलरेंस नीति पर खामोशी क्यों?
कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, लेकिन इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पूर्व मंत्रियों की अवैध संपत्तियों की जांच कराने के बजाय उन्हें राजनीतिक संरक्षण दे रही है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार ने लोकायुक्त को परिवहन विभाग के करोड़पति सिपाही सौरभ शर्मा के खिलाफ चालान पेश करने से रोका है?
कांग्रेस की सख्त कार्रवाई की मांग
कांग्रेस ने मांग की है कि:
पूर्व परिवहन मंत्रियों भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत की अवैध संपत्ति की निष्पक्ष जांच हो।
परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार में लिप्त सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।
सुश्री शर्मा ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि चार साल बाद भाजपा को जनता के सामने जवाब देना होगा कि इस संगठित भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह मामला 2029 के चुनावों में भाजपा के लिए बड़ा मुद्दा बन सकता है।