लेखक : सुधीर नायक, कर्मचारी नेता
आरक्षण का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब उसका लाभ समाज के उन वर्गों तक पहुँचे, जो वास्तव में वंचित हैं। इसलिए अब यह अपरिहार्य हो गया है कि क्रीमी लेयर और उपवर्गीकरण के सिद्धांतों को पूरी तरह लागू किया जाए। ये दोनों सिद्धांत माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से प्रतिपादित हैं। क्रीमी लेयर पर दिया गया ऐतिहासिक फैसला न्यायमूर्ति गवई द्वारा लिखा गया था, जो स्वयं आरक्षित वर्ग से आते हैं। उन्होंने इसे अपने न्यायिक जीवन का सर्वोत्तम निर्णय कहा था।
समाज में संसाधनों के वितरण की सरल मिसाल देखें,यदि एक लाइन में कुछ बाँटा जा रहा है, तो जिन लोगों को मिल चुका है, वे लाइन से अलग हो जाएँ, ताकि पीछे खड़े लोगों तक भी बारी पहुँच सके। लेकिन आरक्षण में इसका उल्टा हुआ है, जिन्हें लाभ मिल चुका है, वही बार-बार लाभ लेते जा रहे हैं। और विडंबना यह है कि यही लोग आगे बढ़कर नेतृत्व भी संभाल लेते हैं, जबकि वास्तविक वंचित पीछे ही रह जाते हैं। यदि क्रीमी लेयर लागू हुई तो सबसे पहले वे लोग हटेंगे जो वर्षों से लाभ ले रहे हैं। यही वजह है कि कुछ लोग वंचितों को गुमराह कर क्रीमी लेयर लागू होने नहीं देते। मेरा मानना है कि नेतृत्व में भी क्रीमी लेयर लागू हो, क्योंकि गरीबों का नेतृत्व अमीर नहीं कर सकते। संपन्न लोग जब साधनहीनों का नेतृत्व करते हैं, तो वे उनके हित की बजाय उन्हें अपने ‘लॉन्चिंग पैड’ की तरह उपयोग करते हैं। इसी कारण मैंने अजाक्स का नेतृत्व आईएएस अधिकारियों द्वारा किए जाने का विरोध किया था। विरोध और शिकायतें हुईं, लेकिन मैं आज भी अपनी बात पर अडिग हूँ, आरक्षित वर्ग का नेतृत्व उन्हीं के हाथ में होना चाहिए, जो वंचना की पीड़ा को सचमुच झेल रहे हों।
उपवर्गीकरण क्यों आवश्यक है?
जब लाइन बहुत लंबी हो जाती है, तो उसे दो–तीन छोटी लाइनों में बाँट देने से वितरण तेज और न्यायपूर्ण हो जाता है। यही सिद्धांत उपवर्गीकरण का आधार है। समाज के प्रत्येक वर्ग में कई उपवर्ग होते हैं—कुछ अपेक्षाकृत सक्षम, कुछ अत्यंत कमजोर। सक्षम उपवर्ग अधिकांश लाभ ले जाते हैं और कमजोर उपवर्ग पीछे ही रह जाते हैं। तेलंगाना और पंजाब जैसे राज्यों ने उपवर्गीकरण लागू किया है और यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित है। हमारे सामने स्पष्ट उदाहरण हैं, बैगा और सहरिया जैसी विशेष जनजातियों को शासकीय सेवा तक पहुँचाने के लिए अलग प्रावधान करना पड़ा, क्योंकि वे अपने ही वर्ग के अन्य सक्षम समूहों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे थे। आरक्षित वर्ग की चयन सूचियाँ उठाकर देखें, कुछ ही जातियों के नाम मिलते हैं, जबकि कई जातियों का प्रतिनिधित्व नगण्य है।
जनमत निर्माण की आवश्यकता
आरक्षित वर्ग के चिंतनशील, न्यायप्रिय लोगों को आगे आकर क्रीमी लेयर और उपवर्गीकरण के समर्थन में जनमत तैयार करना चाहिए। यदि इन सिद्धांतों को सही रूप में लागू किया गया, तो आरक्षण वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुँचेगा और एक समतामूलक समाज के निर्माण में ये सिद्धांत मील के पत्थर सिद्ध होंगे।
