Opinion

चीन की सड़कों पर दौड़ने लगे सेल्फ ड्राइविंग स्कूटर, बस लोकेशन सेट करें और सफर शुरू हो जाए

बीजिंग। भविष्य की स्मार्ट मोबिलिटी अब हकीकत बन चुकी है। चीन की सड़कों पर अब सेल्फ ड्राइविंग स्कूटर (Self Driving Scooters) दौड़ते नजर आ रहे हैं, जो न केवल आधुनिक तकनीक का प्रतीक हैं बल्कि शहरी परिवहन के भविष्य को भी दर्शाते हैं।

इन ऑटोनोमस स्कूटरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सेंसर टेक्नोलॉजी, और लोकेशन ट्रैकिंग जैसे फीचर्स शामिल हैं, जो इसे एक स्मार्ट मोबिलिटी सॉल्यूशन बनाते हैं। उपयोगकर्ता को सिर्फ स्कूटर पर बैठकर अपने गंतव्य की लोकेशन सेट करनी होती है, और स्कूटर खुद-ब-खुद वहां तक ले जाता है — बिना ड्राइवर के, बिना किसी जटिल नियंत्रण के।

कैसे काम करता है सेल्फ ड्राइविंग स्कूटर?

यह स्मार्ट स्कूटर AI-संचालित नेविगेशन सिस्टम से लैस है, जिसमें LIDAR, कैमरा सेंसर, GPS ट्रैकिंग और ऑटोमैटिक ब्रेकिंग जैसी तकनीकें शामिल हैं। ये स्कूटर यातायात का विश्लेषण करते हैं, पैदल यात्रियों और वाहनों से दूरी बनाए रखते हैं, और यातायात नियमों का पालन करते हुए सुरक्षित तरीके से यात्रा पूरी करते हैं।

भारत में सेल्फ ड्राइविंग स्कूटर का संभावित भविष्य

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में यह तकनीक अत्यंत सफल हो सकती है, खासकर मेट्रो शहरों में जहां ट्रैफिक की समस्या आम है।

इन स्कूटरों का उपयोग:

शॉर्ट डिस्टेंस ट्रैवल

डिलीवरी सेवाएं

सीनियर सिटीज़न या दिव्यांग यात्रियों के लिए सुरक्षित परिवहन

एयरपोर्ट/मॉल/कैंपस शटलिंग
जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

कम लागत और पर्यावरण के अनुकूल समाधान

इन स्कूटरों को इलेक्ट्रिक पावर से चलाया जाता है, जिससे यह इको-फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट विकल्प बनते हैं। चीन में इनकी लोकप्रियता को देखते हुए, कई स्टार्टअप कंपनियां अब भारत में भी इस टेक्नोलॉजी को अपनाने की दिशा में विचार कर रही हैं।

फ्यूचर मोबिलिटी की नई क्रांति

जैसे-जैसे स्मार्ट सिटी मिशन, ग्रीन ट्रांसपोर्ट, और AI आधारित इनोवेशन को सरकार और इंडस्ट्रीज से समर्थन मिल रहा है, वैसे-वैसे ऐसे सेल्फ ड्राइविंग वाहन भारत के शहरी जीवन का अहम हिस्सा बन सकते हैं।

निष्कर्ष

चीन में सेल्फ ड्राइविंग स्कूटर का सफल प्रयोग इस बात का संकेत है कि भविष्य की सवारी अब मशीनों के भरोसे भी सुरक्षित और सुविधाजनक हो सकती है। अगर यह तकनीक भारत में अपनाई जाती है, तो यह शहरी ट्रैफिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकती है।

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