Opinion

राजस्थान: एक युवक ने की दो सगी बहनों से शादी, बनाया मिसाल, समाज को दिया मानवीय संदेश

राजस्थान के टोंक जिले से एक भावनात्मक और सामाजिक रूप से प्रेरणादायक विवाह की खबर सामने आई है, जिसने पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना दिया है। यहां के रहने वाले हरिओम मीणा ने न केवल दो सगी बहनों से एक ही मंडप में शादी की, बल्कि समाज के सामने मानवीयता, संवेदनशीलता और परिवार के प्रति समर्पण की मिसाल पेश की।

जब शर्त बन गई इंसानियत का इम्तहान

हरिओम की शादी तय हुई थी सीदड़ा गांव निवासी बाबूलाल मीणा की बड़ी बेटी कांता से। बातचीत और रिश्तेदारी तय होने के बाद जब हरिओम का परिवार विवाह के लिए सीदड़ा पहुंचा, तो कांता ने एक भावनात्मक शर्त रख दी — “मैं अपनी छोटी बहन सुमन को, जो मानसिक रूप से कमजोर है, अकेला छोड़कर नहीं जाऊंगी। यदि वह मेरे साथ ससुराल नहीं आएगी, तो मैं विवाह नहीं करूंगी।”

यह सुनकर हरिओम और उनका परिवार चौंक गया। लेकिन जब उन्होंने दोनों बहनों के बीच का गहरा स्नेह और जुड़ाव देखा, तो उन्होंने सुमन से भी विवाह करने का निर्णय लिया। यह कदम सिर्फ एक सामाजिक परंपरा को तोड़ना नहीं था, बल्कि एक नए युग की सोच को जन्म देना था।




एक ही मंडप, एक साथ लिए सात फेरे

5 मई को टोंक जिले के झोपड़ियां गांव में दोनों बहनों — कांता और सुमन — की शादी हरिओम से विधिवत वैदिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुई। विवाह में रिश्तेदारों और गांववालों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ भावनाओं का सुंदर संगम इस विवाह को खास बना गया।

समाज को मिला संवेदनशीलता का संदेश

इस विवाह ने समाज को यह स्पष्ट संदेश दिया कि रिश्ते केवल परंपराओं से नहीं, बल्कि भावनाओं और समझदारी से बनते हैं। कांता का अपनी बहन के लिए प्रेम और त्याग, और हरिओम का सहृदयता से लिया गया निर्णय, दोनों मिलकर एक नए सामाजिक आदर्श की स्थापना करते हैं।

निष्कर्ष:

हरिओम, कांता और सुमन की यह अनोखी शादी न सिर्फ परिवारों को जोड़ने की कहानी है, बल्कि सामाजिक सोच में सकारात्मक बदलाव की ओर भी इशारा करती है। यह विवाह दिखाता है कि यदि रिश्तों में संवेदनाएं और सम्मान हो, तो परंपराएं भी नई मिसाल बन सकती हैं।

>

Related Articles